ऑनलाइन क्‍लास से फायदे व नुकसान (Benefits And Drawbacks Of Online Classes)

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यह कहना मुश्किल है कि कोरोना काल कब तक चलेगा और इसलिए  विद्यार्थीओ को समाजिक दूरी का पालन करना अनिवार्य है | आपदा जहाँ एक ओर विनाश लाती हैं वहीं दूसरी ओर नए खोज , आविष्करों और नई जीवन शैली को अपनाने के सुनहरे अवसर भी देती हैं।  इस परिस्थिति में ऑनलाइन शिक्षा एक बेहतर विकल्प है।इस स्थिति में छात्रों की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन शिक्षा एक वरदान के रूप में उभर कर आई है। इसके माध्यम से तमाम छात्रों को अपनी पढ़ाई में सहायता मिली है। कोरोना काल की स्थिति में ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था के महत्व को कुशलता से समझा जा चुका है डिजिटल दौर में अधिकतम काम ऑनलाइन हो रहे हैं। घरेलू सामान खरीदने से लेकर डॉक्टरों से परामर्श तक ऑनलाइन हो गया है। ऑनलाइन शिक्षा, शिक्षा का ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से घर बैठे शिक्षक इंटरनेट के माध्यम से देश के किसी भी कोने या प्रांत से बच्चों को पढ़ा सकते है। शिक्षक स्काइप ,व्हाट्सप्प ,और ज़ूम वीडियो कॉल आदि के माध्यम से बच्चो को आसानी से पढ़ा सकते है।

फायदे –

ऑनलाइन शिक्षा के अध्ययन के कई फायदे है। यह बहुत सुविधाजनक है|ऑनलाइन शिक्षा का तरीका कुछ मामलों में पूर्ण नहीं है। यह तो निश्चित है कि इसके अपने कई नुकसान है, पर कुछ महत्वपूर्ण परिस्थितियों में यह हमें बहुत फायदेमंद साबित हुआ है। जैसे कि कोविड-19 महामारी में लॉकडाउन होने के उपरान्त यह बहुत सारें छात्रों के लिए एक आशिर्वाद के रूप उन्हे मिला है।

समय व  पैसों की बचत

ऑनलाइन शिक्षा से हम सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में दी जाने वाली ज़रूरी शिक्षा हासिल कर लेते है। ऑनलाइन शिक्षा की वजह से विद्यार्थियों को कहीं जाना नहीं पड़ता और इससे यात्रा के समय की बचत हो जाती है | अपने सुविधा अनुसार छात्र वक़्त का चुनाव कर ऑनलाइन  क्लासेज  में शामिल  हो जाते है।ऑनलाइन शिक्षा में किसी प्रकार की विषय संबंधित समस्या हो तो शिक्षक से ऑनलाइन पूछ सकते है। इसके लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है।  दरअसल कई बार ऐसा होता है कि दूर दराज से जो बच्चे पढ़ने आते हैं उनका आधा वक्त ट्रैवलिंग में ही गुजर जाता है जिसकी वजह से वो थक जाते हैं और फिर कोई भी एक्स्ट्रा एक्टिविटी नहीं कर पाते हैं। ऑनलाइन क्‍लास से पेरेंट्स के जेब का बोझ थोड़ा कम हुआ है। ट्रेवलिंग में खर्च होने वाले पैसों की बचत हो रही है पेरेंट्स अब अपने बच्‍चों के लिए ऑलाइन कोसेर्स के बारे में भी सोच रहे हैं। अब वो अपने बच्‍चों को मंहगे कोचिंग सेंटर नहीं भेजना चाहते। कई राज्‍य सरकारें भी इस पर विचार कर रही हैं।

नियमितता

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ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चे की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहती है। कई बार बच्चे के बीमार होने की स्थिति में या किसी अन्य वजह से क्लास अटेंड न कर पाने पर भी बच्चे की उस दिन की क्लास मिस नहीं होती है, क्योंकि ऑनलाइन क्लास देने वाले इंस्टीट्यूशन बच्चों को क्लास का सेशन रिकॉर्ड करके भी भेजते हैं। इसके साथ ही रोजाना के नोट्स मेल करते हैं। इससे बच्चे की पढ़ाई पर खास फर्क नहीं पड़ता है।

टेक्नोलॉजी से रूबरू

आज के समय में सभी बच्‍चों को गैजेट की अच्‍छी खासी जानकारी है। उनमें ऑनलाइन से जुड़ी नई-नई चीजें जानने की ललक बढ़ रही है। ऑनलाइन क्‍लासेस से बच्चों ने तकनीक के इस्तेमाल का नया तरीका सीखा है। वहीं, ऑनलाइन क्‍लासेस से टीचरों ने भी पढ़ाने का नया तरीका सीखा है और बच्चों को पढ़ाने और पढ़ाई के प्रति रूचि बढ़ाने के नए रास्ते ढूंढें हैं।

सुरक्षित व सुविधाजनक है

सुरक्षा की दृष्टि से ऑनलाइन क्‍लासेस बहुत ही फायदेमंद है।  इस दौरान बच्चे अपने घर में हमेशा माता-पिता के सामने रहते हैं अभिभावकों के सामने ही चल रही क्‍लासेस से वो भी टीचरों और बच्चों का आसानी से आकलन कर पा रहे हैं। ऑनलाइन क्‍लासेस काफी सुविधाजनक है । इसके माध्यम से बच्‍चे घर बैठे, बिना स्‍कूल जाए पढ़ सकते हैं। जहां चाहें वहां बैठकर पढ़ सकते हैं।

सुनहरा विकल्प

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आज के समय में जब घर से निकलना भी एक चुनौती बन चूका हैं, ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा एक सुनहरा विकल्प हैं। यह न केवल बाधित शिक्षा व्यवस्था को गति दे सकता हैं, बल्कि अधिक आकर्षक तरीके से शिक्षक छात्र के अनुभव बढाए जा सकते हैं। आज स्कूल कॉलेज आदि के साथ साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स भी कोचिंग संस्थानों में नहीं जा पा रहे हैं, ऑनलाइन शिक्षा ने उनकी भी राहें आसान कर दी हैं।अब वे घर बैठे निश्चित होकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकेगे। कई डिग्री परीक्षाएं और उनका पाठ्यक्रम भी ऑनलाइन चलता हैं। शिक्षा के इस माध्यम का बड़ा लाभ उन छात्रों को भी हैं जो विदेश जाकर पढाई नहीं कर पाते हैं।

नुकसान

अगर ध्यान से देखे तो  इसके फायदे ज्यादा व नुकसान कम नजर आयेगे। लेकिन ये नुकसान बहुत गंभीर हो सकते हैं। क्योंकि इनका सीधा असर हमारे बच्चों पर ही पड रहा हैं।

प्रैक्टिकल यानी व्यवहारिक  शिक्षा का अभाव

व्यवहारिक अनुभव को शिक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया जाता है। ऑनलाइन शिक्षा में ज़्यादातर व्यवहारिक अनुभव का अभाव है। ऑनलाइन शिक्षा में एनिमेटेड वीडियो और अभ्यास वीडियोस का उपयोग किया जाता है। स्कूल में शिक्षक भौतिक वस्तुओं का उपयोग करके छात्रों को पढ़ाते  है। यह व्यवहारिक  स्पर्श ,गहरी समझ अध्ययन में विशेष रूचि उतपन्न करते है। ऑनलाइन शिक्षा में व्यवहारिक ज्ञान की अनुपस्थिति होती है।जिन विषयों में प्रैक्टिकल नॉलेज की आवश्यकता होती है उनका ज्ञान लेना मुश्किल होता है।

 मानसिक क्षमता प्रभावित

जिस तरह मोबाइल आने से हमें नंबर याद होना बंद हो गया है। उसी तरह से ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की मेमोरी लॉस हो रही है।क्योंकि बच्चा हर चीज कंप्यूटर पर सेव कर लेता है। घरों में अधिकांश समय मोबाइल और लैपटॉप से चिपके रहने के कारण बच्चों की रचनात्मक क्षमता प्रभावित होती है। इसका सीधा असर बच्चों के मानसिक विकास पर हो रहा है।ऑनलाइन क्लास प्रणाली बच्चों में याद रखने, विचार करने, खोज करने, तर्क करने, अपने मन से जवाब देने, आदि की शक्ति घटती चली जाती है और हाड़ मास का मानव केवल कंप्यूटर पर ही निर्भर होकर रह जाता है।

आंखों और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव 

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मोबाइल, लैपटॉप व टैबलेट का ज्यादा उपयोग बढ़ गया है जिससे स्क्रीन टाइम बढ़ने से आंखों पर इसका असर पड़ने का खतरा है।जहां माता-पिता अपने बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहते हैं, वहीं ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों को मोबाइल दिया जा रहा है।लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करने से कई बार मोबाइल गर्म हो जाते है और ऐसे में दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है।  कुछ छात्रों को आंखों की रोशनी की समस्या हो सकती है। स्क्रीन के लंबे समय तक संपर्क में रहने से कई छात्रों में सिरदर्द भी हो सकता है। कभी-कभी छात्रों को अपनी स्क्रीन की ओर झुकाव के कारण खराब मुद्रा और अन्य शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। कमरे में लगातार एक जगह ही बैठे रहने की वजह से और शरीर में हलचल ना होने के कारण मोटापा बढ़ने लगता है ।

एक शोध से पता चला है की इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ज्यादा उपयोग हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालता है। खासकर के वे उपकरण जिनका इस्तेमाल हम रोज़ ही करते हैं, ये सभी उपकरण इलेक्ट्रोमेग्नेटिक रेडिएशन छोड़ते हैं जिसमे की शामिल है मोबाइल फोन, वाई फाई, हॉटस्पॉट, लैपटॉप जैसे कई उपकरण।

इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस  की समस्या

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इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभाव व इंटरनेट की कम गति ऑनलाइन शिक्षा की राह में सबसे बड़ी चुनौती है।ऑनलाइन क्लासेस के लिए एंड्रयाईड फोन, कंप्यूटर, टेबलेट, ब्राडबैंड, कनेक्शन प्रिंटर आदि की जरुरत होती है। ज्यादातर ग्रामीण बच्चों के परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होती उसके चलते उनके पास डिजिटल क्लासेस के लिए आवश्यक उपकरण नहीं होते हैं। और कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिनके पास सिर्फ एक मोबाइल फोन होता है और घर में पढ़ने वाले दो या दो से अधिक बच्चे होते हैं। ऐसे में एक ही समय पर सभी बच्चों का ऑनलाइन शिक्षा लेना नामुमकिन है।

अनुशासन की कमी

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स्कूल में छात्र हमेशा अनुशासन का पालन करते है और एक निर्धारित समय अपना कक्षा कार्य और गृह कार्य पूरा करते है। लेकिन ऑनलाइन शिक्षा में निश्चित अनुशासन का पालन नहीं किया जाता है।ऑनलाइन क्लासेस में जो बच्चे छोटी क्लासेस में हैं। उनमे समझ इतनी नहीं हो पाती है कि वो अपने मन से ज्यादा लम्बे समय तक खुद बैठ सके। वो बीच बीच में ही उठ कर जाने लगते है। यह शिक्षा माध्यम विद्यार्थी को अधिक स्वतंत्रता देता हैं इसके कारण वह अपने मन के मुताबिक़ कार्य करने लगता हैं, इससे अनुशासन की भावना बच्चें में विकसित नहीं हो पाती हैं।

मोबाइल की लत

बच्‍चों के हाथों में मोबाईल होने से वो इसका गलत इस्‍तेमाल भी कर सकते हैं, जैसे गेम खेलना, ऑनलाइन दूसरी ऐसी जानकारियों को जानना जिसकी कभी उनको आवश्‍यता नहीं है। इसलिए पेरेंट्स के लिए जरूरी है की वो अपने बच्‍चे को मोबाईल देने के बाद भूल ना जाए। 3 से 4 घंटे ऑनलाइन क्लास करना है। होमवर्क मोबाइल से देखकर करना है। इस प्रकार प्रतिदिन बच्चे 6-7 घंटे मोबाइल हाथ में रहता है। इससे बच्चे को मोबाइल की लत लग रही हैं।

टाइमवेस्ट

clock by Lessa Chung | Dribbble

ऑनलाइन शिक्षा का एक बड़ा नुकसान यह हैं कि बच्चे पढ़ने के बजाय, मोबाइल गेम, फिल्म, सोशल मीडिया, यूटयूब, चैटिंग आदि गतिविधियाँ अधिक रहते हैं। बच्चों का मन जल्दी ही भटक जाता हैं ऐसे में इंटरनेट कई तरह से हानिकारक भी सिद्ध हो रहा है। शिक्षा के बहाने मनोरंजन में अपना समय खराब करना ऑनलाइन शिक्षा के नुकसान से ही जुड़ा हैं। सोशल मीड़िया व यूटयूब पर बहुत ज्यादा युवा एक्टिव रहता है। हांलाकि, सोशल मीडिया पर एजुकेशन डाटा उपलब्ध है। लेकिन ये सभी सोशल साईट्स कही ना कही ध्यान भटका ही देती है। जिसका असर बच्चों की शिक्षा व व्यवहार पर पड़ता है।

सर्वांगीण विकास नहीं

Extra-Curricular Activities.

विद्यालय सिर्फ विद्या ग्रहण करने की जगह नहीं है, यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं जिनमें विद्यार्थी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।भाषण, नृत्य, लेखन,खेलकूद आदि से संबंधित कई प्रतियोगिताएं साल भर चलती रहती हैं। ऐसी गतिविधियों से विद्यार्थी के अंदर छुपी प्रतिभा निखर कर बाहर आती है। पर ऑनलाइन शिक्षा में इन सब गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं है जिससे कहीं ना कहीं विद्यार्थी का पूर्ण विकास नहीं हो पाता।विद्यार्थी को सिर्फ किताबी ज्ञान की जरूरत नहीं होती, साथ में अन्य गतिविधि में भाग लेने की भी उतनी ही जरूरत होती है। पर कहीं ना कहीं ऑनलाइन शिक्षा या डिजिटल शिक्षा सिर्फ जानकारी देने पर ही केंद्रित है।

प्रतिस्पर्धा के माहौल का आभाव

कभी-कभी कुछ विद्यार्थी पढ़ने में कमजोर होते हैं लेकिन जैसे ही उनकी दोस्ती किसी अच्छे विद्यार्थी के साथ होती है तो उनकी पढ़ाई में उन्नति साफ तौर पर दिखाई देने लगती है। पढ़ाई हो या कार्यक्षेत्र हर जगह प्रतिस्पर्धा का होना बहुत जरूरी है। प्रतिस्पर्धा की भावना यदि हमारे अंदर होगी तभी हम उन्नति कर सकते हैं। हालांकि बहुत अधिक प्रतिस्पर्धा नुकसानदायक भी होती है, लेकिन थोड़ी बहुत प्रतिस्पर्धा होना भी जरूरी है।

वास्तविक जीवन से हो रहे है दूर

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मोबाइल पर सोशल साइट्स की आसान उपलब्धता के कारण बच्चे आपसे नज़र बचाकर ज़्यादातर समय उसी पर व्यस्त रहते हैं। अपने रियल दोस्तों की बजाय वर्चुअल वर्ल्ड में दोस्त बनाते हैं और उसी आभासी दुनिया में खोए रहते हैं। बार-बार पैरेंट्स द्वारा मना करने के बाद भी उनकी नज़र बचाकर वो सोशल साइट्स पर बिज़ी हो जाते हैं। नतीजतन पढ़ाई और बाकी चीज़ों में वो पिछड़ते चले जाते हैं। आभासी दुनिया में खोए रहने के कारण उनकी सोशल लाइफ बिल्कुल ख़त्म हो जाती है, जो भविष्य में उनके लिए बहुत ख़तरनाक साबित हो सकता है। 

नुकसान से बचने का तरीका

जब भी कोई नई पद्धति प्रभाव में आती हैं तो कुछ दुष्प्रभावों के अछूत हो यह कल्पना नहीं की जा सकती। उसके उपयोग और प्रायोगिकता के बाद हम नकारात्मक बिन्दुओं को पहचान सकते हैं। चूँकि ऑनलाइन शिक्षा एक उपयोगी क्षेत्र हैं जिस पर बच्चों और पूरे देश का भविष्य टिका हो तो हमें पद्धति के सभी पहलुओं का अध्ययन कर इसमें सुधार के उपायों की ओर देखना चाहिए।

अच्‍छी रोशनी

जिस कमरे में बच्‍चे टीवी, कंप्‍यूटर या फोन चला रहे हैं, वहां पर अच्‍छी रोशनी होनी चाहिए ताकि आंखों पर दबाव न पड़े। मॉनिटर या स्‍क्रीन की ब्राइटनेस को मध्‍यम रखें।अगर कम रोशनी में स्‍क्रीन पर देखते हैं तो इससे आंखों पर ज्‍यादा बुरा असर पड़ता है और इससे रेटिना के डैमेज होने का खतरा रहता है।

ब्रेक लें

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लगातार स्‍क्रीन पर देखना, आंखों के लिए नुकसानदायक होता है इसलिए थोड़ी-थोड़ी देर में ब्रेक लेते रहें। ये आंखों ही नहीं बल्कि शरीर के लिए भी अच्‍छा होता है। हर 30-40 मिनट के बाद 10 मिनट का ब्रेक लेकर बच्‍चों को आंखों की एक्‍सरसाइज करने के लिए कहें। क्‍लास के बाद ब्रेक लें।कुछ देर आंखों को बंद करके रखें। बच्चे पलकें झपकतें रहे व एक तरफ टकटकी लगाकर देखने के गुरेज करें। कोशिश करें कि बच्चों को कंप्यूटर या लैपटाप पर पढ़ाई करवाई जाएं, क्योंकि बड़ी सक्रीन से इसका नुकसान कम हो जाता है। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी।

टाइमटेबल बनाएं

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बच्चों की पढ़ाई, टीवी देखने, लैपटाप या कंप्यूटर इस्तेमाल के लिए टाइमटेबल बनाएं।ऐसा साप्ताहिक शेड्यूल बनाएं, जिसे  फॉलो कर सकें। हर हफ्ते रीडिंग, लेक्चर देखने, एसाइनमेंट पूरे करना और पढ़ने के लिए दें। ऑनलाइन क्लासेज को अपने रुटीन का हिस्सा बना लें और काम पूरा करने के लिए रिमाइंडर की मदद लें। बच्चों को 8 घंटे तक सोने का समय दें। रात के समय बच्चों को मोबाइल इस्तेमाल न करने दें।

माता-पिता बच्चों को समय दें

Collaboration by Pradeep on Dribbble

जितनी देर बच्चे फोन इस्तेमाल करते हैं उतने समय तक उनकी खास निगरानी और मार्गदर्शन करें ताकि बच्चे केवल काम की चीज़ें ही देखें और सीमित समय ही फोन पर बिताएँ। इसलिए पेरेंट्स के लिए जरूरी है की वो अपने बच्‍चे को मोबाईल देने के बाद भूल ना जाए, बल्कि बीच-बीच में उसे चेक करते रहें। जब माता-पिता स्वयं अपने गैजेट्स में खोए रहते हों तो वे अपने बच्चों से भावनात्मक आधार पर दूर होने लगते हैं। बेहतर विकास के लिए यह ज़रूरी है कि माता-पिता बच्चों को समय दें। जब बच्चे माता-पिता की कमी महसूस करते हैं तो वे टैक्नोलॉजी व इन्फॉर्मेशन के बहाव में खो जाते हैं और इसके आदि हो जाते हैं।

रोचक अंदाज में प्रस्तुत 

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आज का विद्यार्थी नए वर्चुअल माध्यमों के साथ सहज है, उसने डिजिटल को स्वीकार कर लिया है। अच्छा शिक्षक वही है जो बच्चों  में जानने की भूख जगा दे। इसलिए प्रेरित करने का काम ही हमारी कक्षाएं करती हैं।कोरोना के संकट ने हमारी पूरी शिक्षा व्यवस्था के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। जिसमें क्लास रूम टीचिंग की प्रासंगिकता, उसकी रोचकता और जरूरत बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। ज्ञान को रोचक अंदाज में प्रस्तुत करने और सहज संवाद की जरूरत है। 

बच्चों को प्रोत्साहित करें

School Room by Tanya Yeremeyeva on Dribbble

ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें और खुद का मनोबल भी बढ़ाएं ताकि उन्हें ये न लगे कि उनकी पढ़ाई में नुकसान हो रहा है। अभिभावकों को अपने बच्चों को इसके महत्व को समझाना चाहिए।इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें।

रचनात्मकता का विकास

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अपने बच्चे को ऐसा टास्क देते रहें, जिससे उसकी रचनात्मक क्षमता का विकास हो।इसलिये हमेशा अपने बच्चों को कुछ नई चीजों में संलग्न करें। जैसे कि कुछ रचनात्मक सामान बनाने के लिए उन्हें घर पर पड़ा बेकार सामान जैसे अखबार इत्यादि का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने बच्चों को खाना बनाने या बागबानी के साथ भी जोड़कर अपने बच्चों को  एक्टिव  कर सकते हैं। संगीत सुनने, पढ़ने या पेंटिंग करने में भी आप अपने बच्चों के साथ जुड़ सकते है।

फिजिकल एक्टिविटी

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यदि आप दिन भर ऑनलाइन क्‍लास में बैठ कर पढ़ाई करते है तब तो आपके लिए फिजिकल एक्टिविटी बहुत ही जरूरी हो जाती है। अपने शरीर को फिट और एक्टिव रखने के लिए एक्सरसाइज यानी फिजिकल एक्टिविटी करना एक अच्छा उपाय माना जाता हैं। यह न केवल आपको शारीरिक रूप से फिट रखती है बल्कि आपके मानसिक स्वास्थ्य, और जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार करती है। बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी जैसे योगा , साइकिल चलाना या चलने-दौड़ने  तैराकी, घूमना, दौड़ना या टेनिस खेलना आदि खेल खिलाएं।

सावधानी- छोटे बच्चों को मोबाइल देने से पहले कांट्रास्ट कम कर दें। मोबाइल अगर चार्जिंग पर लगा हुआ हो तो बच्चों को भूलकर भी ना दें। आपको बता दें कि दुनियाभर में अभिभावकों द्वारा बच्चों के हाथ में स्मार्ट फ़ोन देने के अलग-अलग मकसद हो सकते हैं, इसलिए बच्चे की आयु के आधार पर उसकी ईमेल आईडी बनाई जाए और चाइल्ड प्रोटेक्शन सुविधा ऑन रखें तो अभिभावक बच्चे की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं, ताकि बच्चा गलत पोस्ट न देख पाए। किंतु बच्चा यदि जरूरत से ज्यादा समय मोबाइल पर चैट करने लगा है या फिर किसी अन्य साईट पर विजिट करने में लगा है तो थोड़ी सख्ती जरूरी है अन्यथा बच्चे की शिक्षा से बढ़ती दूरी नतीजों में परिवर्तन लाने के लिए काफी है। इसीलिए मनोवैज्ञानिक बच्चे को हाईटेक उपकरण चलाने की अनुमति सीमित समय तक देने के पक्ष में हैं।

निष्कर्ष– ऑनलाइन शिक्षा के सभी तरह के पहलु है। लेकिन यह कहना गलत न होगा कि लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षा ने बच्चो ,शिक्षको और शिक्षा संगठनों की काफी मदद की है और शिक्षा के आदान प्रदान को रुकने नहीं दिया। टेक्नोलॉजी ने इतनी उन्नति कर ली है कि हम घर से और दुनिया के किसी भी  कोने में बैठकर इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर सकते है। आज ऑनलाइन एजुकेशन ही एक ऐसा साधन बना हुआ है जिससे बच्चे अपने टीचर से लगातार रूप से कनेक्ट है और बिना व्यवधान के अपनी पढाई को सुचारू रूप से चालू रखे हुए है। इस प्रकार आपकी अपने बच्चो के प्रति सजगता ही उनके बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकती है इसलिए खुद सजग रहे और अपने बच्चो को ऑनलाइन शिक्षा से होने वाले दुष्प्रभाव से भी सजग रखे।

पढ़ने के लिए धन्यवाद! 

                                                                                                                                                                              रीना जैन


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