गिलोय (Giloy)

गिलोय की उत्पत्ति के संबंध में कहा जाता है कि, समुद्र मंथन के समय अमृत कलश छलकने से उसकी बूंदें जहां भी गिरीं, वहीं गिलोय या अमृता का पौधा निकल आया। इसका नाम संस्कृत मैं अमृता  है ।  अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है। आयुर्वेद साहित्य में इसे  महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय को गुडुची नाम से भी जाना जाता है।  जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं। इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है। क्योंकि गिलोय की बेल जिस वृक्ष पर भी चढ़ती है वह उस वृक्ष के सारे गुण अपने अंदर समाहित कर लेती है तो नीम के वृक्ष से उतारी गई गिलोय की बेल में नीम के गुण भी शामिल हो जाते हैं अतः नीम गिलोय सर्वोत्तम होती है। इसकी पत्त‍ियां पान के पत्ते की तरह होती हैं।  गिलोय की पत्त‍ियों में कैल्शि‍यम, प्रोटीन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।  इसके अलावा इसके तनों में स्टार्च की भी अच्छी मात्रा होती है। 

इम्युनिटी

गिलोय एक नेचुरल जड़ी बूटी है जो इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करती है । यह एंटीऑक्सिडेंट है जो जर्म्स से लड़ता है, आपके सेल्स को स्वस्थ रखता है, और बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। गिलोय के सेवन द्वारा खून को साफ करना, बैक्टीरिया को मारना, शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़कर इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है।

 एंटी ऐजिंग

स्किन पर झुर्रियां आना, महीन लाइनें बन जाना सबसे बड़ी समस्या होती है। गिलोय में एंटी एजिंग गुण पाए जाते हैं। यह डार्क स्पॉट्स , झुरियां, पिंपल्स या‌ मुहांसे को हटाने में मदद करता है।

डेंगू

डेंगू में सबसे अधिक फायदेमंद होता है गिलोय। क्योंकि इस जानलेवा फीवर के कारण हमारे शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगती हैं, गिलोय का सेवन यदि डेंगू का पेशंट के फीवर की  जानकारी मिलते ही शुरू कर दे तो गंभीर स्थिति में जाने से बच सकता है।दरअसल, डेंगू बुखार जानलेवा होता है। गिलोय का सेवन प्लेटलेट्स की संख्या को तेजी से बढ़ाता है।

मोटापा 

मोटापा से परेशान व्यक्ति को रोजाना गिलोय का सेवन करना चाहिए। मोटापा कम करने के लिए गिलोय और त्रिफला के चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ खाएं। इसके नियमित सेवन से मोटापे में फायदा मिल सकता है।

पीलिया

अगर  कोई पीलिया की बीमारी से परेशान है तो गिलोय का सेवन कर सकते हैं। गिलोय के 20-30 पत्ते लेकर पीस लें। एक गिलास ताजी छांछ लेकर पेस्ट को उसमें मिला लें। दोनों को एक साथ छानने के बाद इसका सेवन करें । गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है।

अस्थमा

गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह सांसो से संबंधित रोगों से आराम दिलाने में प्रभावशाली है। गिलोय  कफ को नियंत्रित करती है साथ ही साथ इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाती है जिससे अस्थमा और खांसी जैसे रोगों से बचाव होता है और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।  अस्थमा से बचाव के लिए गिलोय चूर्ण में मुलेठी चूर्ण मिलाकर शहद के साथ दिन में दो बार इसका सेवन करें।

डायबिटीज

टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में असरदार भूमिका निभाती है। गिलोय जूस ब्लड शुगर के बढे स्तर को कम करती है, इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती है और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करती है। इस तरह यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी औषधि है।  गिलोय जूस दो से तीन चम्मच (10-15ml) को एक कप पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।

वात पित्त, कफ

घी के साथ गिलोय लेने से वात रोग, गुड़ के साथ लेने से कब्ज, खांड के साथ पित्त, शहद के साथ लेने से कफ की शिकायत दूर होती है। बहुत कम औषधियां ऐसी होती हैं जो वात, पित्त और कफ तीनो को नियंत्रित करती हैं, गिलोय उनमें से एक है।

कैंसर

 गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर इस की एक कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से कैंसर में फायदा होगा।

गिलोय का सेवन कैसे ,कब ,किसे नहीं करना

  • बुखार में गिलोय का सेवन करने के लिए पाउडर, काढ़ा या रस के रूप में करना चाहिए। गिलोय के पत्ते और तने को एक साथ सुखाकर पाउडर बनाया जाता है. वैसे बाजार में गिलोय की गोली भी मिलती हैं। एक दिन में 1 ग्राम से अधिक गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए।
  •  एक वयस्क आदमी गिलोय का सेवन कर सकता है। इसके अलावा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए प्रेग्नेंट और स्तनपान महिलाओं को भी गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि गिलोय का सेवन करने पर ब्लड शुगर काफी लो हो सकता है। या अधिक यूरिन होने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। यदि सर्जरी हुई है या सर्जरी करवानी है तो भी इसका इस्तेमाल ना करें अन्यथा घाव भरने में समय लगता है।
  • यदि पेट में कोई समस्या है तो भी गिलोय के सेवन से बचना चाहिए गिलोय कब्ज भी पैदा करता है। हर मौसम में गिलोय खाना ठीक नहीं माना जाता है। गिलोय की तासीर प्राकृतिक रूप से गर्म होती है।

पढ़ने के लिए धन्यवाद ! 

इस ब्लॉग की जानकारी ज्ञान के उद्देश्य से है और इसमें कोई चिकित्सकीय सिफारिश शामिल नहीं है। सलाह का पालन करने से पहले एक प्रमाणित चिकित्सकसे परामर्श करें।

                                                                                                                                                                              रीना जैन


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
error: Content is protected !!