शरीर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाए रखने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। विटामिन ई भी उन्हीं पोषक तत्वों में से एक है। शरीर में अगर विटामिन ई की कमी हो जाए, तो कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। विटामिन ई स्वास्थ्य के लिए जरूरी विटामिन्स में से एक है। कई फलों, तेलों और ड्राय फ्रूट्स में विटामिन-ई पाया जाता है। विटामिन-ई, शरीर के इम्यून सिस्टम को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है और रक्त वाहिकाओं को भी बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है। कुछ रिसर्च बताती हैं कि यह पोषक तत्व दिमाग की सेहत को बनाए रखता है, जिससे व्यक्ति कॉग्निटिव डेक्लाइन और डिमेंशिया से बचता है। साथ ही बेचैनी और अवसाद के लक्षण भी कम होते हैं।
विटामिन ई क्या है? (What is Vitamin E?)
विटामिन ई एक प्रकार का वसा में घुलनशील विटामिन होने के साथ ही एक ऐसा एंटीऑक्सी्डेंट भी है जो शरीर के लिए अनेक प्रकार से लाभकारी है | ये एक ऐसा विटामिन है जो वेजिटेबल ऑयल, अनाज, मांस, अंडे, फलों, सब्जियों और गेहूं के बीज का तेल के साथ-साथ और भी कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है और सप्लींमेंट के रूप में भी मिल जाता है। विटामिन ई त्वचा और बालों के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है।
विटामिन ई क्यों जरुरी है? (Why is Vitamin E Important?)
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विटामिन-ई एक फैट सॉल्युबल विटामिन है, जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है।यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और शरीर को विटामिन के अवशोषित करने में भी मदद करता है। इतना ही नहीं, विटामिन-ई रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने के साथ ही शरीर में रक्त के थक्कों को बनने से रोकता है।यह इम्यूनिटी को बूस्ट करता है, जिससे बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद मिलती है। त्वचा, बालों और नाखूनों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए विटामिन-ई का अत्यधिक महत्व है।विटामिन-ई कोलेस्ट्रॉल के कारण हृदय को होने वाले नुकसानों से भी बचाए रखता है। शरीर में इस विटामिन की कमी ना हो, इसके लिए प्रत्येक दिन 15 ग्राम इसे खाद्य पदार्थों से प्राप्त करना चाहिए।
विटामिन ई के स्रोत (Sources of Vitamin E)
वैसे तो विटामिन ई के कैप्सूल बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन बेहतर है कि विटामिन ई के स्रोत के लिए प्राकृतिक चीजों का उपयोग किया जाए। इसलिए, नीचे हम विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ की जानकारी दे रहे हैं, जो प्राकृतिक रूप से विटामिन ई के स्रोत हैं।
विटामिन–ई से भरपूर होते हैं तेल
गेहूं के बीज का तेल ,सूरजमुखी, कुसुम, और सोयाबीन तेल में भी विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है।
विटामिन-ई से भरपूर होते हैं बीज
कई तरह के बीज जैसे कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज में भी विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। इन बीजों को हर दिन कच्चा खाने से विटामिन-ई की कमी को दूर किया जा सकता है।
विटामिन-ई से भरपूर सब्जियां
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अरबी: अरबी खाने के बहुत फायदे हैं। अरबी एंटी- ऑक्सीडेंट्स में भी समृद्ध है जो आंख के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
पालक: पालक आयरन से भरपूर होने के साथ ही इसमें विटामिन-ई भी होता है। यह पाचन में मदद करता है। पालक विटामिन-ई का एक समृद्ध स्रोत है।
टमाटर: टमाटर भी विटामिन ई का अच्छा स्त्रोत होता है। इसके सेवन से आपके शरीर को विटामिन ई के साथ-साथ विटामिन-ए और लायसोपीन नामक एंटीऑक्सीडेंट प्राप्त होता है।
लाल शिमला मिर्च: लाल शिमला मिर्च स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। इसमें ल्यूटिन नामक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। यह एंटीऑक्सीडेंट आंखों के स्वास्थ के लिए लाभदायक है।
ब्रोकली: ब्रोकोली विटामिन ई में समृद्ध है। यह विटामिन-सी और विटामिन-K में भी समृद्ध है जो त्वचा और हड्डी के स्वास्थ्य में मदद करता है।
सरसों का साग: अत्यधिक पौष्टिक होता है, इसमें कई प्रकार से स्वास्थ्य को लाभ प्रदान करता है। ये विटामिन ई , फोलेट, और विटामिन A, C, और K का एक अच्छा स्त्रोत हैं।
विटामिन–ई से भरपूर फल
कीवी: कीवी का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद है। यह विटामिन- ई और सी भरपूर मात्रा में होता है जो इम्युनिटी को बढ़ावा देता है।
पपीता: विटामिन-ई पपीते में पाया जाता है। पपीता में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं जो बिमारियों को रोकते हैं।
आम: आम सेवन सेहत के लिए फायदेमंद है। यह विटामिन- ई भरपूर मात्रा में होता है।
एवोकाडो: इसमें विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन K और विटामिन बी 6, मैग्नीशियम और पोटैशियम का एक बड़ा स्रोत है।एवोकाडो विटामिन ई का काफी अच्छा स्त्रोत होता है।
विटामिन ई से भरपूर नट्स
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बादाम: इसमें विटामिन ई पाया जाता है। इसे हम रोज की डाइट में शामिल कर सकते हैं। बादाम को दूध के साथ भी ले सकते हैं।
पाइन नट्स: पाइन नट्स विटामिन E का बेहतरीन विकल्प है। यह एक प्रकार का अखरोट है। यह कई प्रकार के ब्यूटी प्रोडक्ट्स में मिला होता है।
पीनट: पीनट विटामिन ई का अच्छा स्रोत है यह मूंगफली में खूब होता है और सर्दियों में टाइम पास के साथ आप इससे विटामिन ई की पूर्ति भी कर सकते हैं।
विटामिन-ई की कमी के लक्षण क्या हैं? (What are the Symptoms of Vitamin-E Deficiency?)
शरीर में जब विटामिन-ई की कमी होने लगती है तो ऐसे संकेत दिखते हैं:
- शरीर पर कंट्रोल कम होना।
- इम्यूनिटी का कमजोर पड़ना।
- हाथ-पैर सुन्न हो सकते हैं।
- बाल और त्वचा से जुड़ी परेशानियां होने लगती हैं।
- आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती है।
- विटामिन E की कमी से बॉडी को ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता।
विटामिन E के फायदे (Benefits of Vitamin E)
रेड ब्लड सेल्स के निर्माण में सहायक (Aids in the Formation of Red Blood Cells)
शरीर में रेड ब्लड सेल्स यानि लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने में विटामिन-ई सहायक है। मुख्य रूप से शरीर में सभी अंगों तक ताजा ऑक्सीजन को पहुंचाने का काम करते हैं। रेड ब्लड सेल्स में कमी हो जाने पर अक्सर थकावट महसूस हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान विटामिन- ई का सेवन बच्चे को एनीमिया यानि खून की कमी से बचाता है।
मानसिक रोग से बचाव (Prevention of Mental Illness)
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विटामिन ई और विटामिन सी से भरपूर डाइट पार्किसन जैसी घातक मानसिक बीमारी से बचाती है। शरीर में विटामिन-ई की पर्याप्त मात्रा मानसिक तनाव, anxiety (चिंता) और अन्य समस्याओं को कम करने में मदद करती है।कई शोध में बताया गया है कि विटामिन-ई की कमी से मानसिक रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। शरीर में विटामिन-ई की पर्याप्त मात्रा मानसिक तनाव और अन्य समस्याओं को कम करने में मदद करती है।
कोलेस्ट्रॉल कम करे (Lower Cholesterol)
विटामिन ई शरीर में कोलेस्ट्रॉल की बढ़ी हुई मात्रा को कम करने में मदद करता है। विटामिन ई की कमी से कोलेस्ट्रॉल लेवल बिगड़ सकता है। विटामिन E एक सुरक्षात्मक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और LDL कोलेस्ट्रॉल को घटाता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद (Beneficial for Skin)
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कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स में विटामिन ई का इस्तेमाल किया जाता है। त्वचा पर नमी लाने के लिए भी विटामिन-ई जरूरी है।विटामिन-ई में एंटी एजिंग ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो स्किन पर बढ़ती उम्र के असर को कम कर सकते हैं।जवानी में ही खुद में बुढ़ापे जैसे लक्षणों को दूर करने के लिए विटामिन ई काफी फायदेमंद हो सकता है।
आंखों का रखता है ख्याल (Good for Eyes)
आंखों को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए और बढ़ती उम्र में होने वाली आई प्रॉब्लम जैसे मोतियाबिंद या कोई अन्य बीमारी को दूर करने के लिए विटामिन-ई का सेवन बेहद लाभकारी माना जाता है। जस्ता, तांबा और अन्य एंटीऑक्सिडेंट के साथ विटामिन ई लेने से लोगों में रोग की प्रगति धीमी हो सकती है।आंखों की रोशनी के लिए विटामिन ई का सेवन जरूर करना चाहिए।
इम्यूनिटी को रखता है स्ट्रॉन्ग (Keeps Immunity Strong)
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शरीर में विटामिन ई कमी होने पर आपकी इम्यूनिटी भी कमजोर हो सकती है। ऐसे में ऐसे फूड्स का सेवन करना चाहिए जो विटामिन ई से भरपूर हो। विटामिन इम्यूनिटी बढ़ाने के सात-साथ एलर्जी होने की आशंका को भी कम कर सकता है।
विटामिन ई की कमी से बचने के उपाय (Prevention Tips for Vitamin E Deficiency)
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- विटामिन-ई की कमी से बचाव के लिए विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थों जैसे – सब्जियों और फलों का सेवन करें।
- विटामिन-ई युक्त ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन ई के कैप्सूल का सेवन भी कर सकते हैं।
विटामिनई के नुकसान (Harm of Vitamin E)
हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विटामिन ई की आवश्यकता से अधिक मात्रा हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है।आवश्यकता से अधिक मात्रा में लेने पर यह शरीर में जमा होने लगती है।क्योंकि यह वसा में घुलनशील है। ये मूत्र के माध्यम से शरीर से निकाला नहीं जा सकता है। धीरे-धीरे यह विशाल स्तर तक जमा हो जाती है।खाद्य पदार्थों के माध्यम से विटामिन विकास एवं सामान्य है।लेकिन जब पूरक आहार के माध्यम से ले लेते हैं तो यह कई परेशानियों का कारण बन सकती है। विटामिन ई की अधिकता से उत्पन्न होने वाली परेशानि यों में खून का पतला होना और थकान जैसी लक्षण दिखाई देते हैं। यदि हम बिना डॉक्टर की सलाह से विटामिन ई कैप्सूल का प्रयोग कर रहे है तो विटामिन की मात्रा हमारे शरीर में ज्यादा हो सकती है। जोकि शरीर के घातक होगी। खाद्य पदार्थो से विटामिन की मात्रा शरीर में नॉर्मल रहेगी, और कोई साइड इफ़ेक्ट की संभावना भी नहीं रहती।
नोट: अधिकतर लोगों के शरीर में विटामिन ई की पूर्ति भोजन के द्वारा ही हो जाती है लेकिन कुछ बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अतिरिक्त विटामिन ई की जरूरत होती है। बाजार में विटामिन ई के सप्लीमेंट भी मिलते हैं लेकिन यह सप्लीमेंट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं इसलिए यदि विटामिन ई के सप्लीमेंट लेने की जरूरत महसूस हो तो एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!
रीना जैन
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