Kukkutasana

Kukkutasana (Cockerel Pose): कब्ज, अपच, खाने में अरुचि दूर करता है यह आसन

हमारे देश में वर्षों से ऋषिमुनी योगासनों का प्रयोग अपने को स्वस्थ्य करने के लिए करते रहे हैं। उन्हीं योगासनों से एक है कुक्कुटासन। कुक्कुटासन उन विशेष आसनों में से है जो कम प्रचलित किंतु अत्यधिक लाभकारी आसन है। जिसकी मदद से हाथों पर शरीर का संतुलन बनाया जाता है। कुक्कुटासन आसन को सही प्रकार से करने के लिए अभयास व प्रशिक्षण, शारीरिक शक्ति और मानसिक संयम की आवश्यकता होती है। इस आसन पर यदि गौर किया जाए तो यह आसन पद्मासन एवं बकासन का मिश्रित आसन है। 

कुक्कुटासन क्या है? (What is Cockerel Pose?)

कुक्कुटासन को अंग्रेजी भाषा में इसे कॉकरेल पॉज (Cockerel Pose) और रोस्टर पोज (Rooster Pose) के नाम से जाना जाता है। इस आसन का नाम संस्कृत भाषा से लिए गया है। कुक्कुटासन शब्द को दो शब्दों से जोड़ कर बनाय (कुक्कुट+आसन) गया है।कुक्कुटासन का पहला शब्द “कुक्कुट” है जिसका शाब्दिक अर्थ मुर्गा होता है और दूसरा शब्द “आसन” है जिसका शाब्दिक अर्थ मुद्रा या स्थिति होता है। अपने पैरों को मोड़कर हाथों के बल से जमीन के उपर उठने की कोशिश करना।इसमें करने वाले दो पैरों में मुर्गे की तरह उठा सा लगता है इसलिए इसका नाम कुक्कुटासन रखा गया। यह आसन शरीर के संतुलन लिए बहुत अच्छा है। यह कन्धा, बांह, कोहनी इत्यादि लिए बहुत महत्वपूर्ण योगाभ्यास है।

कुक्कुटासन योग करने से पहले यह आसन करें (Do this asana before doing Cockerel Pose)

कुक्कुटासन योग करने से पहले आप नीचे दिए गए कुछ आसन का अभ्यास करें जिससे आपको इस आसन करने में आसानी होगी-

  • पद्मासन योग या कमल मुद्रा
  • ताड़ासन योग
  • बकासन योग

कुक्कुटासन करने करने की विधि (Steps to do Cockerel Pose )

अगर आप कुक्कुटासन पहली बार कर रहे हैं तो यह आपको कठिन लग सकता है, परन्तु लगातार अभ्यास करने से आपको यह आसान लगने लगेगा।

  • सबसे पहले स्वच्छ-साफ व हवादार जगह पर चटाई या योगा मैट को बिछा कर बैठ जाएं।
  • कुक्कुटासन के अभ्यास के लिए बैठने का सर्वश्रेष्ठ आसन पद्मासन है।
  • आप अपने दाएं हाथ को दाएं जांघ एवं दाईं पिंडली के बीच से ले जाए एवं बाएं हाथ को बाईं जांघ एवं पिंडली के बेच ले जा कर जमीन पर रख दें।
  • कमर के ऊपर की शरीर को थोड़ा सा आगे की तरफ झुकाते हुए दोनों हाथों को सीधा करें तथा हथेलियों को जमीन पर मजबूती से टिका दें।
  • दोनों हथेलियों के बीच सामंजस्य बनाते हुए 3 से 4 इंच की दूरी बनाए रखें। हाथों की उंगलियों को फैलाकर इस प्रकार रखें कि संतुलन बनाने में आसानी हो।
  • ऐसा करते हुए शरीर का संपूर्ण भाग हथेलियों पर डालते हुए संतुलन बनाए रखें।
  • शरीर को यथासंभव ऊपर ले जाने एवं दोनों हाथों को बिल्कुल सीधा करने तक ऊपर जाएं तथा स्थिर हो जाएं। नजरें बिल्कुल सीधी एवं ध्यान शरीर का संतुलन बनाए रखने पर रखें।
  • मन में ठीक से 10, 15 तक अथवा जितना संभव हो गिनती गिनने तक रुकें एवं शरीर का संतुलन बनाए रखें। सांसों को बिल्कुल सामान्य रूप से भीतर जाने एवं बाहर आने दें।
  • धीरे धीरे सांस बाहर छोड़ते हुए शरीर को नीचे जमीन पर रख दें। दोनों हाथों क्यों पैरों के बीच से बाहर निकालें एवं पैरों को सामान्य रूप से जमीन पर रख बैठ जाएं।
  • इस प्रकार कुक्कुटासन का एक चक्र पूर्ण हुआ। आप चाहे तो प्रतिदिन तीन से चार चक्र का अभ्यास कर सकते हैं।
  • जितना संभव हो उतना ही करें और शरीर के साथ किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती ना करें।

कुक्कुटासन के फायदे (Benefits of Cockerel Pose)

अगर इस आसन को विधियों और सही तकनीक से किया जाए तो हमारे शरीर को कई फायदे मिल सकते हैं।

मांसपेशियों को मजबूत बनाए (Strengthen Muscles)

कुक्कुटासन के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह पेट, छाती, हाथ और कंधे सहित आपके पूरे ऊपरी शरीर को फैलाता है, और इन क्षेत्रों में रक्त के प्रवाह में मदद करता है जो मांसपेशियों को मजबूत और टोन करता है। इस योग के दैनिक अभ्यास से चोट लगने का खतरा कम हो जाता हैकुक्कुटासन के अभ्यास से हाथ एवं पैरों के जोड़ों को विशेष लाभ मिलता है। अक्सर शरीर की किन्हीं दो अंगो की हड्डियां टूटने की समस्या देखने के लिए मिलती है। इस आसन के नियमित अभ्यास इन हड्डियों को मजबूत बनाता है।

भूख बढ़ाता है (Increases Appetite)

इस योग को करने से पेट के अंगों पर दबाव पड़ता है जिससे एंजाइम और पाचन रस का उत्पादन बढ़ा है। इसके परिणामस्वरूप खाया गया भोजन आसानी से पच जाता है । इसके परिणामस्वरूप खाया गया भोजन आसानी से पच जाता है जिससे अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।जिससे अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। आंतो की कमजोरी, कब्ज, अपचा खाने में अरुचि दूर करने में उपयोगी आसन है।

हृदय को स्वस्थ रखें (Keep Heart Healthy)

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए कुक्कुटासन उपयुक्त माना जाता है। यह योग छाती को खोलता है और रक्त प्रवाह को सुचारू रूप से बढ़ाता है जिससे हृदय स्वस्थ रहता है। कुक्कुटासन दिल का दौरा और उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि के जोखिम को रोकता है। इसके अलावा कुक्कुटासन योग रक्त का सुचारू प्रवाह को सुनिश्चित करता है जिससे धमनियां कोलेस्ट्रॉल के निर्माण से मुक्त रहें।

मसल्स के लिए (For Muscles)

कुक्कुटासन योग के नियमित अभ्यास के साथ अपनी बाइसेप और ट्राइसेप्स मांसपेशियों को टोन कर सकते हैं। इस योग के दौरान आपके पूरे शरीर का भार आपकी बाहों पर होता है जो न केवल रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है बल्कि उन्हें टोन भी करता है। इस योग में रक्त के प्रवाह में वृद्धि के साथ, मांसपेशियों को आवश्यक पोषण मिलता है जिसके परिणामस्वरूप उनकी वृद्धि होती है।

पेट की चर्बी को कम करता है (Reduce Belly Fat)

कुक्कुटासन योग आपके पेट की मांसपेशियों पर काफी दबाव डालता है। जिससे आपके पेट की मांसपेशियां टोन हो जाती हैं और अतिरिक्त वसा क्षेत्र से कम हो जाता है। अपने भारी पेट को कम करने और पेट की चर्बी को घटाने के लिए कुक्कुटासन योग बहुत ही फायदेमंद होता हैं। 

मासिक धर्म में दर्द से राहत (Menstrual Pain Relief)

मासिक धर्म सम्बंधित परेशानियों में राहत दे कर कमर दर्द को कम करता है। स्त्रियों के लिए कुक्कुटासन एक विशेष लाभकारी आसन माना जाता है। इस आसन का नियमित अभ्यास करने वालों को मासिक धर्म के समय होने वाली परेशानियां दर्द से राहत मिलती है।

शरीर का संतुलन बनाए (Maintain Body Balance)

शरीर का संतुलन बनाए रखने वाला यह एक महत्वपूर्ण आसन है। कुकुटआसन के नियमित अभ्यास से मूलाधार चक्र सक्रिय करने में मदद मिलती है। यह चक्र व्यक्ति को हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करने के साथ शारीरिक मानसिक एवं अध्यात्मिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यह संतुलन तथा स्थिरता को बढ़ाता है।

कुक्कुटासन योग करते समय कुछ सावधानियां (Precautions for Cockerel Pose)

यह आसन करते समय कुछ सावधानियां बरतनी आवश्यक है वरना इसके फायदे के बजाए नुकसान उठाने पड़ सकतें है।

  • अगर इस आसन को करते समय आपके कंधों या हाथों में दर्द हो रहा हो तो इस आसन को कुछ देर तक ना करें फिर जैसे जैसे आप इसे करते रहेंगे, दर्द कम होता रहेगा। बस इसे लगातार करें।
  • अगर आपके हाथो या कंधे में चोट या सर्जरी हुई है तो आसन को न करे, एक बार किसी डॉक्टर की सलहा अवश्य लें।
  • अगर आपको पीठ दर्द, हर्निया, गैस्ट्रिक अल्सर जैसी बीमारियां है तो आसन को न करें।
  • गर्भवती महिलाएं इस आसन से दूर रहें।
  • इसका अभ्यास तभी करें जब आपकी बाहों और कलाई में पर्याप्त ताकत हो। घायल कलाई, कमजोर कोहनी या कंधे होने पर कुक्कुटासन का अभ्यास करने से बचे।
  • एक योग प्रशिक्षक की उपस्थिति में अभ्यास करने की सलाह दी जाती है। अपनी ताकत और क्षमता के अनुसार अभ्यास करे।

पढ़ने के लिए धन्यवाद!

                                                                                                                                                                              रीना जैन


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