सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar)

YOGA SCIENCE

सूर्य ऊर्जा का मुख्य श्रोत है| ‘सूर्य’ ‘और नमस्कार’ दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसका अर्थ होता सूर्य का अभिवादन करना है| सूर्य नमस्कार योग को कई आसनों के मेल से बनाया गया है। इसी वजह से इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है और यह कई गंभीर बीमारियों को दूर रखने में मदद कर सकता है।  सूर्यनमस्कार एक आसान और परफेक्ट एक्सरसाइज है जिसके फायदे हमारी लाइफ को निरोगी और गति शील बनाना है सूर्य नमस्कार के प्रत्येक दौर के बाद ‘ओंकार’ के उच्चारण के बाद आसन के दौरान प्रत्येक चरण में इन सूर्य मंत्रो के उच्‍चारण से विशेष लाभ होता है, निम्न अनुक्रम में सूर्य देव से संबंधित नाम के साथ ‘बीज मंत्र ’का उच्चारण होता है।

सूर्य नमस्कार के 12 आसन के नाम, मंत्र, अर्थ और तरीका-

  1. प्रणाम आसन- ॐ मित्राय नमःसूर्य के साथ सभी मित्रो को यानि कण कण को प्रणाम

तरीका- इस आसन में आपको अपने दोनो पैरों को मिलाकर खड़ा होना होगा। इसके बाद अपने दोनो हाथों को जोड़े और छाती के पास लगाएँ। अपने दोनो आँखों को बंद कर दें। इसी तरह जिस तरह नमस्ते या पूजा करते समय हाथ जोड़ते हैं। ओम मित्राय नमः मंत के द्वारा मन ही मन ध्यान करें। 

लाभ- यह प्रथम आसान हृदय चक्र को मजबूत करता है, तनाव को चिंता को दूर करने में और मन को शांत व स्वस्थ रखने में मदद करता है।

2. हस्तउत्तनासन– ॐ रवये नमः- जो सदा ही प्रकाशमान है।

तरीका-अब आप जिस अवस्था में हाथ जोड़ कर खड़े थे। साँस भरते हुए दोनो हाथो  ऊपर की ओर ले जाएं। अब अपनो जुड़े हुए हाथों को ही जितना हो सके पीछे की ओर ले जाएं। ध्यान रहे इस दौरान आपकी कमर पीछे की ओर झुकी रहनी चाहिए। 

लाभ –यह आसान अस्थमा के रोगियों के लिए बहुत ही लाभदायक है, ये आपके फेफड़ों की ऑक्सीजन क्षमता को बढ़ाता है। गले, कान और की श्वसन प्रक्रिया समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।

3. पादहस्तासन- ॐ सूर्याय नमःसूर्य को ईश्वर के रूप में नमन किया गया है।

तरीका- अब आपको अपनी कमर को आगे की ओर झुकाते हुए साँस को धीरे -धीरे बाहर निकालते हुए हाथों से अपने पैर के पिछले हिस्से के एड़ियो को छूना होगा। इस दौरान आपका सिर घुटनो पर सटा होगा और घुटने पूरी तरह सीधे होंगे।

लाभ- शरीर को लचीला बनाने में यह आसान बहुत मदद है। हमारे सभी ग्लैंड्स को सक्रीय करता है, हड्डियों के दर्द, तनाव, अनिद्रा को दूर करता है और जांघों, घुटनों, कूल्हों, हैमस्ट्रिंग को खोलता है। 

4. अश्व संचालन आसन-ॐ भानवे नमः – जीवन सदा ही प्रकाशमान रहे ।

तरीका- अब अपने दोनों पैरों में से साँस को भरते हुए बाए पैर को पीछे की ओर ले जाए । और हाथों को आगे कि ओर ले जाकर जमीन पर रखें। इस दौरान आपका एक पैर पीछे की ओर बिल्कुल सीधा होगा और  पैर का पाँजा खड़ा हुआ होना चाहिए। दूसरा पैर आगे की ओर मुड़ा हुआ होगा। एवं अपना सिर ऊपर की ओर रखे और चेस्ट बाहर तथा कमर सीधी रखें। 

लाभ- यह आपके आपकी याददाश्त को बढ़ाता है| रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है| फेफड़ों की क्षमता, गुर्दे और यकृत में भी सुधार लाता है|

5. दंडासन- ॐ खगाय नमःसूर्य जी कण कण तक पहुंचता है जो सर्वव्यापी है।

तरीका- अब अपने दोनों पैरों की पीछे की तरफ सांस छोड़ते हुए ले जाएं। एवं अपने हाथों को इसी अवस्था में रहने दे। पीछे की ओर शरीर को खिचाव दें और एड़ियों को ज़मीन पर मिलाने का प्रयास करें। कमर मुड़े नहीं इस बात का खास ध्यान रखें। 

लाभ- यह आसान पेट की फैट में बहुत मदद करता है, साथ ही यह हमारी  मांसपेशि को और हड्डियों को मजबूत बनाता है|

6. अष्टांग नमस्कार ॐ पूष्णे नमःसूर्य को प्रणाम करते है जो पोषण करता है।

तरीका- अब आपको नीचे जमीन पर पेट के बल ही आना है। अपने माथें, हाथों, घुटनों और चेस्ट को जमीन से लगा कर रखनी है। इस दौरान सांस को रोक कर रखना होगा। ध्यान रहे कि आपका पेट का एरिया हवा में होगा। नितंबो को थोड़ा उप्पर उठा दें।

 लाभ- यह आसान बाजु, कंधे और पैरों को मजबूत बनाने में और लचीलेपन लाने में मदद करता है | साथ ही ये रक्त संचालन में भी मदद करता है। 

7.भुजंग आसन- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः सूर्य को प्रणाम करते है, जो स्वर्ण के भांति प्रतिभावान है।

तरीका- इसके बाद धीरे-धीरे साँस को भरते हुए अपने सिर को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाना है। घुटने ज़मीन का स्पर्श करते हुए और पैरो के पंजे खड़े रखें। इस दौरान आपकी सिर ऊपर की तरफ एवं पीछे होना चाहिए।

 लाभ- यह आसन पेट के लिए बहुत ही लाभदायक है। इससे पाचन शक्ति बढ़ता है। महिलाओ को मासिक धर्म के समय इससे लाभ मिलता है, साथ में पीठ दर्द और रक्त परिसंचरण में मदद मिलता है। 

8.पर्वत आसन-ॐ मरीचये नमः सूर्य से प्रकाशित अनेक किरणों को प्रणाम करते है।

तरीका- इस आसन को अधामुखासन के नाम से भी जाना जाता है। इसके लिए आपको अपना आकार पहाड़ की तरह करना होगा। इसके लिए अपने पैरों को पीछे और हाथों को आगे ले जाएं। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को ज़मीन पर मिलाने का प्रयास करें। अब अपने हिप्स वाले एरिया को ऊपर की ओर लेजाना होगा। ध्यान रहे इसमें आपके हाथ आगे कि तरफ सीधे होंगे।

लाभ- यह आसान आपके रक्त परिसंचरण, नसों की समस्या, महिलाओ के मासिक धर्म, पीठ के दर्द, रीढ़ की हड्डीयों में रक्त प्रवाह, चिंता, तनाव में सुधर में मदद करात है और आपके तंत्रिका प्रणाली को भी फ़ायदा मिलता है। 

9. अश्वसंचालन आसन- ॐ आदित्याय नमःजिस से ब्रह्मांड की शुरुआत हुई, उस अनन्त विश्व-जननी को नमन करते हैं।

तरीका- अब आप धीरे धीरे और गहरी सांस ले और पैरों को पीछे की ओर ले जाएं। अब अपने एक पैर को आगे की तरफ लाएं और आसमान की ओर देखें। ध्यान रहे हाथ जमीन पर और निगाह ऊपर की तरफ होनी चाहिए। ( इस स्टेप में आपको अपने उस पैर को आगे लाना है, जिसे आपने चौथे स्टेप में सीधा रखा था।)

लाभ- आसन के लाभ 4 स्थिति के समान है।

10.पादहस्तासन ॐ सवित्रे नमः उगते हुए सूर्य को प्रणाम करते है जो धरती पर जीवन को जागृत करता है।

तरीका- अब अपने कमर को आगे की ओर मोड़ते हुए घुटने पर सिर लगाएँ। तथा एड़ियो को अपने हाथ से छूकर रखें। 

लाभ- आसन के लाभ 3 स्थिति के समान है ।

11.हस्तउत्तनासनआसन- ॐ अर्काय नमः सूर्य को प्रणाम उनकी महिमा से पूरा ब्रह्मांड चलता है।

तरीका- अब पहले की अवस्था में खड़े होकर अपने हाथों को पहले ऊपर की तरफ और फिर पीछे की तरफ जोड़ कर ही ले जाएं। इस दौरान पैरों को खोल कर खड़ा होना होगा। यह ठीक उल्टे आधे चाँद जैसा पोज होगा। 

लाभ- आसन के लाभ 2 स्थिति के समान है।

12.प्रणाम आसन-  ॐ भास्कराय नमः- पूरे ब्रह्मांड के प्रकाशक सत्य का मार्ग दिखाने के लिए प्रणाम करते है।

तरीका- अब आप वापिस सबसे पहले वाले आसन में आ जाएं। अपने हाथों को जोड़ कर रखें और पैरों को मिला कर रखें। 

लाभ- लाभ 1 स्थिति के समान है।

सूर्यनमस्कार से होने वाले लाभ– सूर्यनमस्कार से हमें बहुत सारे लाभ होते हैं जो इस प्रकार हैं।

  • सूर्य नमस्कार सुबह के समय खुले में उगते सूरज की ओर मुंह करके करना चाहिए। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और विटामिन डी मिलता है। जो हमारी हड्डियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, इससे हमारे शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं। इससे मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है।
  • सूर्य नमस्कार करने से वजन कम होता है। साथ ही शरीर लचीला भी बनता है। सूर्य नमस्कार के कई आसन कुछ ग्लैंड्स को उत्तेजित करती हैं, जैसे थायरॉयड ग्‍लैंड के हॉर्मोन के स्राव को बढ़ाकर पेट के एक्स्ट्रा फैट को कम करने में मदद करती हैं। रोजाना 10 बार सूर्य नमस्कार के आसन करें। क्योंकि सूर्य नमस्कार वेट लॉस के लिए सबसे बेस्ट एक्सरसाइज है।
  • रोजाना 3 से 4 मिनट सूर्य नमस्कार करने से भी आप काफी हद तक डायबियीज को कंट्रोल कर सकते हैं।
  • बॉडी डिटॉक्स हो जाती है।इस योग के दौरान आप सांस खींचते और छोड़ते हैं, जिससे हवा  फेफड़ों तक और ऑक्सीजन खून तक पहुंचती है। इससे ब्‍लड तक ऑक्सीजन पहुंचता है, जिससे शरीर में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड और बाकी जहरीली गैस से छुटकारा मिलता है। सूर्य नमस्कार से हृदय व फेफडोंकी कार्यक्षमता बढती है।
  • सूर्य-नमस्कार के करने से शरीर के सभी संस्थान, रक्त संचरण, श्वास, पाचन, उत्सर्जन, नाड़ी तथा ग्रंथियों को क्रियाशील एवं मजबूत बनाता है। 
  • सूर्य-नमस्कार के लगातार अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही सोचने और समझने की भी गति तीव्र होती है। 
  • सूर्य नमस्कार से शरीर की सभी महत्वपूर्ण ग्रंथियों, जैसे पिट्यूटरी, थायरॉइड, पैराथायरॉइड, एड्रिनल, लीवर, पैंक्रियाज, ओवरी आदि ग्रंथियों के स्रव को संतुलित करने में मदद करता है। 
  • इसका नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव, अवसाद, एंग्जायटी आदि के निदान के साथ क्रोध, चिड़चिड़ापन तथा भय का भी निवारण करता है। 
  • जिनको कब्ज, अपच या पेट में जलन, बदहजमी, गैस, अफारे तथा भूख न लगने जैसी समस्याओं के समाधान में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्हें रोजाना सुबह खाली पेट सूर्य नमस्कार करना चाहिए। 
  • सूर्य नमस्कार को नियमित रूप से करने से महिलाओं के पीरियड्स से जुड़ी सभी प्रॉब्‍लम दूर होती है, शरीर में लचीलापन आता है, पेट ठीक रहता है।  
  • सूर्य नमस्कार को करने से वात, पित्त तथा कफ को संतुलित करने में मदद करता है। त्रिदोष निवारण में मदद करता है। 
  • इसका लगातार अभ्यास करने वाले व्यक्ति को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, कब्ज जैसी परेशानियों के होने की आशंका बेहद कम हो जाती है। 

सूर्य नमस्कार करने का सही समय व सावधानियां- 

  • सूर्य नमस्कार करने का सही समय प्रातः काल सूर्य उदय होने पर होता हैं। 
  • प्रातःकाल सूर्य को देखकर और खाली पेट सूर्य नमस्कार करना चाहिए। 
  • खाना खाने के बाद या फिर रात में इस योग को करने से  नुकसान हो सकता है।
  • सूर्य नमस्कार के दौरान ढीले और आरामदायक कपड़ें ही पहनें।
  • सूर्य नमस्कार को खुली हवा में करना चाहिए।
  • सांस लेने की प्रक्रिया सही होना चाहिए। 
  • रीढ़ की हड्डी से संबंधित कोई बीमारी है,हर्निया और उच्च रक्तचाप वाले लोगों को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
  • महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सूर्य को नमस्कार नहीं करने की सलाह दी जाती है।
  • गर्भवती महिलाओं को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
  • सूर्य नमस्कार करते समय हमें अपने शरीर की क्षमता के अनुरूप ही सभी स्टेप्स को करना चाहिए।
  • हर आसन आराम-आराम से करने चाहिए। जल्द बाजी में करने से झटका लग सकता है और मोच भी आ सकती है।
  • सूर्य नमस्कार पूरे हो जाने के बाद कुछ देर शव-आसन करें।

पढ़ने के लिए धन्यवाद! 

इस ब्लॉग की जानकारी ज्ञान के उद्देश्य से है और इसमें कोई चिकित्सकीय सिफारिश शामिल नहीं है। सलाह का पालन करने से पहले एक प्रमाणित चिकित्सक से परामर्श करें।

                                                                                                                                                                              रीना जैन


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