कुछ योगासन ऐसे हैं जिनका नाम आपने शायद ही कभी सुना हो। ऐसा ही एक योग कर्नापीड़ासन है जिसका रोजाना अभ्यास कई रोगों को दूर रखने का काम कर सकता है। यदि कर्नापीड़ासन अभ्यास सही तरीके के साथ और विशेष सावधानियां बरतते हुए किया जाए तो इससे स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ मिल सकते हैंकर्नापीड़ासन, जिसे “कान दबाने की मुद्रा” भी कहा जाता है, एक योग आसन है जो रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, पेट के अंगों को उत्तेजित करता है, और तनाव को कम करता है। यह आसन फेफड़ों को मजबूत करने, थायरॉयड को नियंत्रित करने, और जोड़ों के दर्द से राहत प्रदान करने में भी मदद करता है। कर्नापीड़ासन जिसे करके तन और मन दोनों को स्वास्थ्य रक्खा जा सकता है । इस लेख में हम जानेंगे कि कर्नापीड़ासन कैसे करें और इसके क्या फायदे हैं और इसमें कौन कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए।
कर्नापीड़ासन क्या है? (What Is Karnapidasana?)

कर्नापीड़ासन एक संस्कृत शब्द है जिसमें कर्ण का मतलब ‘कान’, पीडा का मतलब ‘दबाव’ और आसन, योग पोज़ को दर्शाता है। यह योगासन कुछ-कुछ हलासन की तरह होता है। कर्नापीड़ासन के कई नाम हैं। इसे राजा हलासन, नी टू ईयर पॉज (knee-to-ear pose) व ईयर प्रेशर पॉज (ear pressure pose) भी कहा जाता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी के विस्तार, लचीली हैमस्ट्रिंग और गतिशील कंधों के लिए एक प्रमुख अभ्यास है।
कर्नापीड़ासन करने का तरीका (Steps to do Karnapidasana)
कर्नापीड़ासन योगासन देखने में थोड़ा कठिन लग सकता हैं और शायद पहली बार में आप इसे अच्छे से ना कर पायें, पर इसके लगातार अभ्यास से इसे आसानी से किया जा सकता हैं। आइये जानते हैं इसे करने की विधि को विस्तार से-चूँकि यह एक एडवांस्ड योगाभ्यास है इसलिए शुरुआती दौर में इसको किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही अभ्यास करनी चाहिए।

- सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं और हाथों एवं पैरों को एक सीध में रखें।
- फिर गहरी सांस लें और पैरों को धीरे-धीरे आसमान की ओर उठाते हुए सिर के पीछे ले जाने की कोशिश करें। इस तरह से हलासन की स्थिति बन जाएगी।
- अब शरीर का पूरा भार अपने कंधों पर रखें और हाथों को पहले की तरह जमीन पर सीधा रखें।
- इसके बाद आप अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लें।
- दोनाें घुटने मुड़ने के बाद इन्हें कानों तक लाएं ताकि दोनों कान घुटनों से ढक जाएं।
- इस अवस्था को मेन्टेन करें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
- फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपनी पहली अवस्था में आ जाएं।
- अपने शारीरिक सामर्थ्य के अनुसार 1 मिनट से 1:30 मिनट तक इस मुद्रा में रहे। फिर धीरे-धीरे पैरों को वापस ले आए।
- प्रारंभिक स्थिति में 20 से 30 सेकंड तक करें और धीरे-धीरे अभ्यास के साथ समय को बढ़ाते जाएं।
कर्नापीड़ासन करने से पहले यह आसन करें (Do this Asana before doing Karnapidasana)
कर्नापीड़ासन करने से पहले कुछ आसान हैं जिनको करने से जांघ और कूल्हे पर्याप्त मात्रा में खुल जाते हैं।
कर्नापीड़ासन करने बाद में करने वाले आसन (Asanas to be Done After doing Karnapidasana)
कर्नापीड़ासन के फायदे (Karnapidasana Benefits )
थायराइड के लिए लाभदायक (Beneficial for Thyroid)

कर्नापीड़ासन थायराइड-उत्तेजक हार्मोन पर दबाव बनाता है। थायराइड उत्तेजक हार्मोन के रूप में थायरोट्रोपिन या थयरोट्रोपिक हार्मोन को जाना जाता है। ये हार्मोन थायराइड ग्रंथि को ट्रिगर करते हैं जो ट्रायोडोथायथ्रोनिन और थायरोक्साइन उत्पन्न करते हैं। ये सभी हमारे चयापचय को बढ़ावा देते हैं जिससे हमारे शरीर के कामकाज को सही ढंग से करने में मदद मिलती है।
स्वस्थ रीढ़ के लिए (For a Healthy Spine)
हमारे शरीर का मुख्य अंग रीढ़ की हड्डी होती है। जो की हमें बैठने, चलने और किसी भी कार्य को करने में मदद करती हैं। अपनी रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के लिए कर्नापीड़ासन बहुत अच्छा उपचार हो सकता हैं। इस योग को करने से आपकी रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है, यह लचीलापन रीड की हड्डी पर पड़ने वाले दबाव को झेलने में मदद करता हैं। कर्नापीड़ासन का अभ्यास रीढ़ की हड्डी को गहरा खिंचाव देता है और इसे मजबूत बनाता है तथा दर्द से राहत देता है। और रीढ़ की कई महत्वपूर्ण गतिविधियों का लाभ उठाने के लिए नीचे और आगे की ओर झुकने में मदद मिलती है।
तनाव को दूर करने में (To Relieve Stress)

आप अपने तनाव को कम करने के लिए कर्नापीड़ासन योग को अपना सकते हैं। इससे आप अपने मन को शांत कर सकते हैं। कर्नापीड़ासन एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह मस्तिष्क में रक्त और ऑक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाता है और आपके दिमाग को शांत करने में मदद करता है। यह योग आपकी थकान, निराशा, तनाव, चिंता आदि को दूर कर सकता है। जिन लोगों को चिंता, तनाव, डिप्रेशन व अन्य मानसिक समस्याएं हैं उनके लिए कर्नापीड़ासन लाभदायक हो सकता है।
गर्दन में अकड़न की समस्या दूर करने में (To Relieve the Problem of Stiffness in the Neck)
सही तरीके के साथ कर्नापीड़ासन अभ्यास करने से गर्दन की पिछली मांसपेशियों में खिंचाव आता है और उनमें लचीलता बढ़ती है। जिन लोगों को गर्दन में अकड़न की समस्या है उनके लिए कर्नापीड़ासन काफी लाभदायक हो सकता है।
श्रवण दोष के लिए (For Hearing Loss)

कर्णपीड़ासन योग मुद्रा सुनने की क्षमता में सुधार लाने में भूमिका निभा सकती है। एक अध्ययन से पता चलता है कि कर्णपीड़ासन योग के दौरान, रीढ़ की हड्डी अच्छी तरह से फैली हुई होती है, और घुटने कानों पर दबाव डालते हैं। यह दबाव कान की समस्याओं जैसे सुनने की क्षमता में कमी, संक्रमण आदि को ठीक करने में मदद कर सकता है। सुनिश्चित करें कि अगर आपको सुनने में बड़ी परेशानी है, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें और कर्णपीड़ासन योग पर निर्भर न हों।
पेट की अतिरिक्त चर्बी के लिए (For Excess Belly Fat)
कर्नापीड़ासन के नियमित अभ्यास से पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होती है। एक अध्ययन के अनुसार , अन्य योग अभ्यासों के साथ इस आसन के नियमित अभ्यास से शरीर का वजन, बीएमआई, पीआई, त्वचा की मोटाई, वसा प्रतिशत आदि में कमी आई।
लचीलेपन में वृद्धि (Increase Flexibility)

कर्नापीड़ासन के नियमित अभ्यास से धीरे-धीरे कूल्हों, जांघों और पीठ के निचले हिस्से का लचीलापन बढ़ता है, जिससे दैनिक गतिविधियों में अधिक आसानी होती है। यह आसन भीतरी जांघों को मजबूत बनाता है, श्रोणि के लचीलेपन में सुधार करता है और पीठ के निचले हिस्से के दर्द को दूर करता है।
कर्नापीड़ासन करने में कौन कौन सी सावधानी रखें (Precautions to do Karnapidasana)
- सिर दर्द हाई बीपी और गर्दन में दर्द होने की स्थिति में यह आसन कदापि न करें।
- जिन लोगों की कमर में दर्द हैं वो लोग इस आसन को ना करें।
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को ना करें।
- अगर आप दस्त से की समस्या से परेशान हैं तो आप इस आसन को ना करें।
- यदि आपके घुटने कान तक नहीं पहुंच पाते हैं तो जहां तक पहुंच पाए वहां तक ही ले जाएं। अपनी शारीरिक सामर्थ्य के अनुरूप ही करें।
- मासिक धर्म और रजोनिवृत्ति दौरान कर्नापीड़ासन योग को करने से बचना चाहिए।
- यह एक कठिन आसन है इसे किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
- अपनी शारीरिक सामर्थ्य के अनुरूप ही यह आसन करें जबरदस्ती कदापि न करें।
टिप्स (Tips)
- योग करने से पहले वार्मअप कर लें।
- कर्नापीड़ासन करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
- खाना खाने के तुरंत बाद योग न करें।
- कमर व गर्दन को सीधा रखें कोई भी क्रिया बलपूर्वक न करें।
आसन तभी लाभकारी होता है जब इसे सही तरीके से किया जाए; इसलिए शुरुआती लोगों को इसे केवल योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए।
पढ़ने के लिए धन्यवाद !
रीना जैन
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