क्या एल्युमिनियम के बर्तन और फॉइल धीमा जहर है? (Side Effects Of Aluminum Utensils & Foil)

भारतीय रसोई में एल्युमीनियम, तांबा, लोहा और स्टेनलेस स्टील से बने बर्तनों का इस्तेमाल आम होता है। ऐसे में घर के लिए बर्तन खरीदते समय उससे होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में सही जानकारी होना बेहद जरूरी है।पारंपरिक रूप से हमारे रसोई घरों में पहले मिट्टी, पीतल या लोहे के बरतनों के खाना पकाया जाता था। अब खाना पकाने के लिए ज्यादातर एल्युमिनियम के बरतनों जैसे कि कड़ाही, देगची प्रेशर कुकर ,केतली, ड्रम, माईक्रोवेव और बाल्टी  इस्तेमाल होते हैं।एल्युमिनियम ने जिस तेजी से मिट्टी, पीतल और लोहे के बर्तनों का स्थान लिया उसकी वजह थी इसका हलका, सस्ता, टिकाऊ और ताप का बेहतरीन सुचालक होना। इन्ही सब गुणों के कारण घरों के अलावा ढाबों और रेस्टोरेंट या फिर हलवाइयों के यहाँ भी बहुत इस्तेमाल किये जाते हैं। जब रेडिमेड रुझान वाली जिंदगी में खाना पैक कराने फिर उसे कहीं और ले जाकर खाने की प्रवृत्ति चली तो खाने की पैकिंग और उसे लपेटने के लिए एल्युमिनियम के पैकेट्स और फॉइल्स भी धड़ल्ले से इस्तेमाल होने लगे।

एल्युमिनियम क्या है? (What is Aluminum?)

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एल्यूमिनियम हल्के वजन वाली चांदी-सफेद धातु है और पृथ्वी की परत में प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। लैटिन भाषा के शब्द ऐल्यूमेन और अंग्रेजी के शब्द ऐलम का अर्थ फिटकरी है। इस फिटकरी में से जो धातु पृथक की जा सकी, उसका नाम ऐल्यूमिनियम पड़ा।  इस धातु को औषधीय उत्पाद (जैसे एंटासिड्स), पानी के शोधन, बर्तन, खाद्य पैकेजिंग जैसे कि पेय के डिब्बे,पन्नी, साथ ही साथ अन्य औद्योगिक उपयोग हैं। धरती पर पाए जाने वाले खनिज जैसे लोहा , कॉपर,  कैल्शियम आदि की शरीर को जरुरत होती है लेकिन एल्युमीनियम की जरुरत बिल्कुल नहीं होती। यह शरीर के लिए एक अनावश्यक पदार्थ है जो अंदर जाने पर विषैले तत्वों की तरह मल मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाता है। एल्युमीनियम पृथ्वी पर सबसे ज्यादा मात्रा में मिलने वाले धातुओं में से एक है।अपनी प्राकृतिक स्थिति में, यह मिट्टी, चट्टानों और मिट्टी में फॉस्फेट और सल्फेट जैसे अन्य तत्वों में पाया जाता है।हालांकि, यह हवा, पानी और आपके भोजन में छोटी मात्रा में भी पाया जाता है।वास्तव में, यह फल, सब्जियां, मांस, मछली, अनाज और डेयरी उत्पादों सहित अधिकांश खाद्य पदार्थों में स्वाभाविक रूप से होता है। आपके द्वारा खाए जाने वाले एल्युमीनियम की केवल थोड़ी मात्रा में वास्तव में पच जाता है।बाकी आपके मल में निकल जाता है।इसके अलावा, स्वस्थ लोगों में, अवशोषित एल्यूमीनियम पेशाब में निकल जाता है।आम तौर पर, रोजाना आपके द्वारा ली जाने वाली एल्युमीनियम की छोटी मात्रा को सुरक्षित माना जाता है।

एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना पकाने के नुकसान

(Disadvantages Of Cooking In Aluminum Utensils)

Is cooking in Aluminum gonna poison your food? | by Soniya Nikam MS, RD. |  DawaiBox | Medium

एल्युमीनियम के बर्तन में खाना पकाना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है।इसमें बना भोजन किसी भी लिहाज से स्वास्थ्यवर्धक नहीं हैं बल्कि नुकसानदायक ही है।एल्युमीनियम के बर्तन में बने खाने के माध्यम से हमारे शरीर में धीमी गति से जहर पहुँचता है जिसका असर एक लंबे अंतराल के बाद अवश्य दिखता है। इन बर्तनों में बने खाने का स्वाद और रंग दोनों बदल जाता है क्योंकि 4 से 5 मिली ग्राम एल्युमीनियम की मात्रा प्रतिदिन हमारे भोजन में मिल जाती है जिससे भोजन के प्राकृतिक गुण नष्ट हो जाते है।लंबे समय तक अगर इन बर्तनों में बना खाना खाया जाए तो यह धातु लीवर और नर्वस सिस्टम में इस तरह से समा जाता है की लोगों को बीमारियाँ सौगात में मिलने लगती है लेकिन अधिकांश लोगों को तब भी पता नहीं चल पाता की यह सब कैसे हुआ। लोग यह कह कर खुद को तसल्ली देते है की उम्र के साथ रोग तो आएँगे ही। आपने अक्सर देखा होगा कि एल्युमीनियम के बर्तन में पकाया हुये खाने का रंग और स्वाद दोनों ही बदल जाता है।कोशिश करें कि इसका इस्तेमाल जल्द से जल्द बंद कर दें।

शरीर में एल्युमिनियम की मात्रा बढ़ने पर होने वाले रोग

(Diseases Caused Due to Increase in the Amount of Aluminum in the Body)

एल्युमिनियम के बर्तन नुकसानदेह हैं स्वास्थ्य के लिए? - वाइडएंगल ऑफ लाइफ

कुछ शोध कहते हैं, यदि हमारे शरीर में एल्युमिनियम की मात्रा बढ़ जाए, तो इसका गंभीर प्रभाव हमारे दिमाग पर पड़ता है। एल्युमिनियम नमक और एसिड के साथ मिलने पर पिघलने लगता है, जिससे खाने में इसका अंश भी शामिल होता जाता है। खाने में शामिल आयरन और कैल्शियम की मात्रा को एल्युमिनियम आसानी से अब्जॉर्ब कर लेता है। यह हड्डियों की बीमारियों का कारण बन जाता है। मानिसक रोगों के अलावा, टीवी और किडनी संबंधी रोग भी इससे होते हैं।वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार एल्युमीनियम बर्तनों के रोजाना इस्तेमाल से लैड और कैडमियम एक्सपोजर होता है जिससे बच्चों का आईक्यू लेवल कम होता है परफॉर्मेंस घटती जाती है और कई दिमागी रोग का खतरा भी बन जाता है। एल्युमिनियम की अधिकता से होने वाले रोग। 

  • हड्डियों का कमजोर होना,
  • रोग प्रतिरोध्‍क क्षमता का कम होना।
  • अल्जाइमर रोग
  • भूलने संबंधी समस्या, सोचने-समझने की शक्ति का कमजोर होना
  • किडनी की समस्या, आतों में सूजन
  • ऑस्टियोपोरोसिस, डिमेंशिया
  • पाचन सम्बन्धी समस्या, पेट फूलना
  • त्वचा की परेशानी जैसे एक्जिमा , रुसी आदि परेशानी हो सकती है।

 कैसे एल्युमिनियम खाद्य पदार्थों में मिल जाता है?

(How Does Aluminum get Into Foods?)

एल्यूमीनियम बर्तन में पका खाना एल्यूमीनियम को अवशोषित कर सकता है क्योंकि एल्यूमीनियम खाना पकाने की प्रक्रिया के दौरान भोजन और पानी में घुल जाता है।एल्युमिनियम के बर्तन से भोजन में एल्युमिनियम का रिसाव दो कारणों से होता है। पहला, प्रेशर कुकर, कड़ाही, देगची आदि में खाना पकाते वक्त जब पक रहे खाद्य पदार्थों को धातु की कलछी या चमचे से चलाया जाता है तो बर्तन का एल्युमिनियम घिसकर खाद्य पदार्थ के साथ मिल जाता है। दूसरा, बर्तन में पक रहे खाद्य पदार्थ, खास कर अम्लीय (खट्टे) वस्तुएं, जैसे टमाटर, कढ़ी आदि ऊंचे तापमान पर एल्युमिनियम से रिएक्ट करते हैं एल्युमिनियम नमक और एसिड के साथ मिलने पर पिघलने लगता है, जिससे खाने में इसका अंश भी शामिल होता जाता है। और एल्युमिनियम रासायनिक कंपाउंड के रूप में खाद्य पदार्थों में समा जाता है। जितनी अधिक आंच होती है उतना ही ज्यादा भोजन में एल्युमिनियम  घुलने की मात्रा बढ़ जाती है गर्म खाना जो फॉयल में लपेटा गया हो, वह भी एल्यूमीनियम को अवशोषित करता है।

एल्युमिनियम से बचने के लिए क्या करें?

(What to Do to Avoid Aluminum?)

एल्यूमीनियम के संपर्क से पूरी तरह से बच नहीं सकते क्योंकि यह पर्यावरण में इतना आम और व्यापक है तथा यह स्वाभाविक रूप से भोजन और पानी में मौजूद है। सभी लोगों के शरीर में एल्यूमीनियम की थोड़ी मात्रा में है।ऐसे तो एल्यूमिनियम शरीर से निष्कासित हो जाता है लेकिन समस्या तब उत्पन्न होती है जब औसतन से अधिक मात्रा में जमा जाता है। लेकिन इसके ज्ञात स्रोतों का प्रयोग नहीं करके आप इसके एक्स्पोज़र को कम कर सकते हैं।

  • एल्युमिनियम के बर्तनों में खटाई युक्त भोजन बिलकुल न पकायें। नमक, चाय, सोडा, नींबू,  और टमाटर जैसी खाद्य पदार्थों को न ही तो एल्यूमीनियम बर्तनों में पकाना चाहिए और न ही रखा जाना चाहिए।
  • एल्युमिनियम के बर्तन में अधिक देर तक दाल, सब्जी आदि ना रखे। कुकर में दाल या सब्जी पकाई हो तो इसे दूसरे बर्तन में जल्द खाली कर लें।
  • एल्युमिनियम फॉइल में पैक करके खाना ना पकायें। एसिटिक चीजों को फॉयल पेपर में रखने से बचें।इससे चीजें जल्दी खराब हो सकती हैं या फिर उनका केमिकल बैलेंस भी बिगड़ सकता है।
  • डब्बा बंद भोजन में एल्युमिनियम तत्व मिले हो सकते हैं अतः नियमित इनका उपयोग ना करें।
  • सिरका भी एल्युमीनियम से बहुत ज्यादा रिएक्ट करता है। सिरका और उससे जुड़ी डिशेज एल्युमीनियम में रखना सही नहीं माना जाता है। इसलिए अचार भी एल्युमीनियम में नहीं बल्कि कांच के या चीनी मिट्टी के बर्तनों में रखा जाना चाहिए।
  • बड़ी बड़ी नामी कम्पनियां एल्युमीनियम धातु से पतली पतली केन, डिब्बे, बोतले बनाकर उनमें खाद्य सामग्री, सौन्दर्य प्रसाधन, दैनिक दिनचर्या में इस्तेमाल होने वाली चीजें पैक सीलबंद कर बेचती हैं। इन सामग्री उपयोग हानिकारक हैं।
  • एल्युमीनियम धातु स्वास्थ्य किसी धीमे जहर से कम नहीं है। क्योंकि बहुत ही कम कम्पनियों के एल्युमीनियम धातु से बने केन, बर्तन एनोडाइज होते हैं। अन्यथा सभी कम लागत में सस्ते एल्युमीनियम धातु का इस्तेमाल करती है।
  • कुछ कम्पनियाँ कोल्ड ड्रिंक आदि एल्युमीनियम के केन में बेचती हैं। ऐसे पेय में एल्युमीनियम घुला हो सकता है। इनका उपयोग टालें।
  • खाने पीने के चीजों को ज्यादा देर तक एल्युमीनियम बर्तनों नहीं रखें। खाने पीनी की चीजें ज्यादा देर तक एल्युमीनियम बर्तनों रखने से खाने योग्य नहीं रहती हैं।
  • बर्तनों में अचार, नमक, मसाले, दूध, घी, दही, आईसक्रीम और पानी नहीं रखें। इस तरह के खाद्यसामग्री एल्युमीनियम बर्तनों में जल्दी अभिक्रिया करती है।
  • माइक्रोवेव या अवन में खाना बनाते समय भी आप एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल ना करें। कोई भी खाद्य पदार्थ एल्युमिनियम फॉयल में रोस्ट करने से बचें।
  • चाय , कॉफी आदि एल्युमीनियम के बर्तन में नहीं बनायें।
  • एल्युमिनियम फॉयल जब भी इसमें खाना रखें, ठंडा करके ही रखें। वो भी कम समय के लिए। खाना जितना ज्‍यादा गरम व मसालेदार होगा एल्‍यूम‍िन‍ियम का अवशोषण उतना ज्‍यादा होगा। 
  • एल्यूमिनियम के प्रेशर कुकर से खाना बनाने से 70-80 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं । बाजार में स्टेन लेस स्टील और एल्युमिनियम के एनोडाइज्ड प्रेशर कुकर उपलब्ध हैं जो सावधानी से इस्तेमाल करने पर साधारण एल्युमिनियम के प्रेशर कुकर की तुलना में नुकसानदेह नहीं होते हैं।
  • एल्युमिनियम पर टेफ़लोन या नॉन स्टिक कोटिंग करके भोजन में घुलने से बचाया जाता है। हालाँकि इन पर खाना तेज आँच पर नहीं पकाना चाहिए अन्यथा ये भी नुकसान देह हो सकते हैं।
  • ताजा निकला हुआ संतरे का जूस , पाइनेपल का जूस , अंगूर का जूस , मौसमी का जूस आदि लें। इससे शरीर से एल्युमिनियम बाहर निकलने में मदद मिलती है।
  • एल्यूमीनियम का बरतन इस्तेमाल कर भी रहें हैं तो आंतरिक पक्ष में किसी भी स्क्रैप या खरोंच नहीं लगने दें। तेज चम्मच का उपयोग न करें और खाना पकाने या खाने के लिए लकड़ी या बांस चम्मच का उपयोग करने का प्रयास करें।
  • एनोडाइज़ किये हुए एल्युमिनियम के बर्तन से नुकसान होने की संभावना कम होती है क्योंकि यह अधिक सख्त होता है और सफाई में भी आसान होता है। ऐसे बर्तन में पकाया भोजन में अपेक्षाकृत एल्यूमीनियम कम घुलता है। इन्हे काम में लिया जा सकता है।

नोट: हमें जितनी जल्दी हो सके एल्युमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। इससे हम अपने इस अनमोल जीवन को नष्ट होने से बचा सकते हैं। अगर आप अपने घर को बीमारी से मुक्त देखना चाहते हैं।तो आपको एल्युमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल बंद करके स्टील, कांच, मिट्टी, पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए। जब लोग तांबे ,पीतल,ओर मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते थे बीमारियां भी कम हुआ करती थी।

यह सलाह केवल आपको सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए दी गई है। आप किसी भी चीज का उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

पढ़ने के लिए धन्यवाद! 

                                                                                                                                                                              रीना जैन

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