Virabhadrasana

वीरभद्रासन (Warrior Pose): थाइज और हिप्‍स की चर्बी को कम करता है यह आसन

योग विज्ञान में मनुष्य को हेल्दी और फिट रखने वाले कई आसनों के बारे में बताया गया है। इन आसनों में सबसे प्रमुख आसन वीरभद्रासन है। वीरभद्रासन एक स्टैंडिंग पोज़ है। यह योग अभ्यास में सबसे आम आसनों में से एक हैं। यह आसन एक साथ आपके हाथों, कंधों, जांघों और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह संतुलन और स्थिरता बनाने के लिए एक अच्छी मुद्रा है। यह तीन प्रकार का होता है-वीरभद्रास,ऐसे में सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि वीरभद्रासन के तीनों प्रकार एक दूसरे से कितने अलग है। लेकिन आप चाहें तो इसमें से किसी भी एक विधि को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि वीरभद्रासन 1, 2 और 3 को करने की विधि क्या है। वीरभद्रासन करने से कौन सी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इस आसन को करने के साथ ही या सावधानियां बरतनी चाहिए। साथ ही इसके फायदे भी जानेंगे। 

वीरभद्रासन क्या है (What is Warrior Pose?)

वीरभद्रासन  को अंग्रेजी में “वॉरियर पॉज” (Warrior pose) के नाम से जाना जाता है।वीरभद्र शब्द संस्कृ​त के दो शब्दों से मिलकर बना है। पहले शब्द ‘वीर’ जिसका अर्थ बहादुर होता है, जबकि दूसरे शब्द भद्र का अर्थ मित्र या दोस्त होता है। वीरभद्रासन का नाम भगवान शिव के एक जन्म अवतार वीरभद्र से पड़ा। योग विज्ञान में वीरभद्रासन को योद्धाओं का आसन कहा जाता है। यह आसन शरीर को मजबूती प्रदान करता है तथा है यह माना जाता है एक प्रकार का योग मुद्रा है जो आपको वीर योद्धा बनने के लिए प्रेरित करता है।

वीरभद्रासन करने से पहले ये आसन करें (Do These Asanas Before doing Warrior Pose)

  • ताड़ासन
  • नटराजासन

वीरभद्रासन करने का तरीका (How to do Warrior Pose?)

यह तीनों आसन एक दूसरे से ज्यादा अलग नहीं है। लेकिन हां, इनके करने का तरीका थोड़ा अलग है, जिससे शरीर को अलग अलग तरीके से फायदे भी मिलते हैं।

वीरभद्रासन 1 करने की विधि

  • सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाएं और उस पर खड़े हो जाएं।
  • अब गहरी लंबी सांस लें अपने पैरों को फैलाकर सीधे खड़े हो जाएं।
  • एक पैर को 90 डिग्री बाहर की ओर मोड़ें और दूसरे पैर को लगभग 15 डिग्री अंदर की ओर मोड़ें।
  • सुनिश्चित करें कि पैर की एड़ी, जो 15 डिग्री पर मुड़ी हुई है, दूसरे पैर के केंद्र से जुड़ी हुई है।
  • सांस भरते हुए बाजुओं को बगल से सिर के ऊपर ले आएं। अपनी हथेलियों को  अपने सिर के ऊपर नमस्ते की मुद्रा में रखें ।
  • पिछले पैर को स्थिर रखते हुए अपने कंधों को पीठ के नीचे लाएँ।
  • पिछले घुटने को मोड़ें और दूसरे टखने की सीध में रखते हुए गहरी सांस छोड़ें।
  • जांघ जमीन के समानांतर होनी चाहिए। सुनिश्चित करें कि मुड़ा हुआ घुटना टखने से न गुजरे और पैर का अंगूठा दिखाई दे।
  • अपनी पीठ को झुकाएं और अपने सिर को पीछे झुकाएं, नमस्ते मुद्रा की ओर ऊपर की ओर देखें। 
  • अब 30 से 40 सेकंड तक इस स्थिति में बने रहें। समय आप अपनी क्षमता के अनुसार भी कर सकते हैं।
  • अब पहले की स्थिति में आने के लिए सबसे पहले अपने हाथों को नीचा कर लें। और अब ये प्रक्रिया दूसरे पैर से करें।

वीरभद्रासन 2 करने की विधि

  • सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाए और उस पर खड़े हो जाएं और गहरी लंबी सांस लें।
  • अपने पैरों को फैलाकर खड़े हो जाएं और अपने दाहिने पैर को 90 डिग्री बाहर और बाएं पैर को लगभग 15 डिग्री अंदर घुमाएं।
  • सुनिश्चित करें कि दाहिने पैर की एड़ी बाएं पैर के केंद्र से संरेखित हो।
  • श्वास लें और अपनी हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए दोनों भुजाओं को कंधे की ऊंचाई तक उठाएं। भुजाएँ ज़मीन के समानांतर हो
  • सांस छोड़ें और अपने दाहिने घुटने को मोड़ें। टखना और संबंधित घुटना एक पंक्ति में संरेखित होना चाहिए।
  • सुनिश्चित करें कि घुटना टखने से आगे न जाए।
  • अपना सिर घुमाएँ और अपनी दाहिनी मध्यमा उंगली पर ध्यान केंद्रित करें।
  • अब पहले की स्थिति में आने के लिए सबसे पहले अपने हाथों को नीचा कर लें। और अब ये प्रक्रिया दूसरे पैर से करें।

वीरभद्रासन 3 करने की विधि

  • सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाएं और उस पर खड़े हो जाएं।
  • पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं और अपने हाथों को कमर पर रखें।
  • धीरे-धीरे सांस लें और अपने शरीर का वजन उस पैर पर डालें जिसे आप मजबूती से जमीन पर रखना चाहते हैं।
  • अपने दूसरे पैर को उठाएं और साथ ही आगे की ओर झुकें।
  • सुनिश्चित करें कि आपका ऊपरी शरीर और पैर ज़मीन के समानांतर हों। अब आप अपने हाथों को एक साथ ला सकते हैं और अपने हाथों से नमस्ते मुद्रा बना सकते हैं।
  • स्थिति को बनाए रखते हुए अपने सांस लेने के व्यायाम का भी अभ्यास करें।
  • आप दूसरे पैर की कोशिश करते हुए भी यही मुद्रा कर सकते हैं, बशर्ते आप संतुलन बनाने के प्रति आश्वस्त हों।
  • अब 30 से 40 सेकंड तक इस स्थिति में बने रहें।
  • समय आप अपनी क्षमता के अनुसार भी निर्धारित कर सकते हैं। अब पहले की स्थिति में आने के लिए सबसे पहले अपने हाथों को नीचा कर लें। और अब ये प्रक्रिया दूसरे पैर से करें।

वीरभद्रासन कितनी बार करना चाहिए? (How Many Times Should do Warrior Pose?)

वीरभद्रासन का अभ्यास दोनों पैरों से बारी-बारी से किया जाने पर एक चक्र माना जाता है| वीरभद्रासन का अभ्यास करते करते अभ्यस्त हो जाने पर अपनी क्षमता के अनुसार 3 से 5 बार किया जा सकता है।

वीरभद्रासन के फायदे (Benefits Of Warrior pose)

गर्दन, कंधों और पीठ में अकड़न से छुटकारा (Reduces Stiffness in the Neck, Shoulders, and Back)

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रोजाना वीरभद्रासन करने से पीठ दर्द से छुटकारा मिल सकता है। इसलिए अगर आपको पीठ या कमर में दर्द रहता है, तो इस आसन की रेगुलर प्रैक्टिस करें। लंबे समय तक बैठने और कंप्यूटर पर काम करने के प्रभावों का प्रतिकार करता है।यह आसन पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए बहुत अच्छा है। इसमें रीढ़ की हड्डी के बहुत अधिक विस्तार और लचीलेपन की आवश्यकता होती है, जो इन मांसपेशियों को टोन और मजबूत करने का काम करता है।

स्टेबिलिटी में सुधार होता है (Stability Improves)  

वीरभद्रासन आपके बॉडीवेट को लेग्स के ज़रिए होल्ड करता है। इसकी रोज़ाना प्रैक्टिस से हेंसट्रिंग्स, काफ मसल्स, क्वाड्रिसेप्स को मजबूती मिलती है, साथ ही बैलेंस और स्टेबिलिटी में भी सुधार होता है। वीरभद्रासनI से शरीर का लचीलापन बढ़ता है क्योंकि इसमें हैमस्ट्रिंग, पीठ का निचला हिस्सा यानी लोअर बैक की स्ट्रेचिंग होती है।  

तनाव दूर होता है (Stress goes Away)

वीरभद्रासन दिमाग को भी हेल्दी रखता है. यह आसन स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।यह आपके मन को शांत रखता है जिससे तनाव दूर होता है।नींद अच्छी आती है और मूड भी सही रहता है।

थाइज और हिप्‍स की चर्बी को कम करता है (Reduces Fat in Thighs and Hips)

ये आसन शरीर में हिप्स, कूल्हों और पैरों के बीच एलाइनमेंट सही करता है। आसन में हिप्स से नीचे के शरीर या टांगों को काफी फैलाना होता है। यह आसन शरीर की अतिरिक्त चर्बी को पिघलाने में मदद करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें बहुत अधिक मांसपेशियों की आवश्यकता होती है, जिससे कैलोरी बर्न होती है। इससे हिप्स मजबूत और लचीले हो जाते हैं। ये आसन थाइज और हिप्‍स की चर्बी को कम करता है

साइटिका से राहत (Relief from Sciatica)

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रोजाना वीरभद्रासन योग का अभ्यास करने से आप साइटिका की परेशानी को दूर कर सकता हैं। यह एक ऐसी समस्या है, जिसकी वजह से पैरों में काफी तीव्र दर्द होता है।इस दर्द को कम करने के लिए नियमित रूप से वीरभद्रासन योग का अभ्यास करें।

फेफड़ों के लिए फायदेमंद (Beneficial for Lungs)

इस आसन को करने से छाती में काफी फैलाव होता है, जोकि फेफड़ों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा यह आसन अच्छे श्वसन को उत्साहित करती है, जिससे लंग्स हैल्दी बनते हैं और ब्रीदिंग प्रॉब्लम दूर होती है। वीरभद्रासन में सांस लेते समय ज्यादा सांस फेफड़ों में समा पाती है। इससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और सीने कोखुलने का मौका​ मिलता है। सीना खुलने से शरीर के ऊपरी धड़ की मांसपेशियां भी टोन होने लगती हैं। 

वीरभद्रासन करते वक्त बरतें ये सावधानियां (Precautions for Warrior Pose)

  • वीरभद्रासन वे लोग ना करें, जिन्हें दिल की समस्या है या जिन लोगों के गर्दन, हथेली, कंधे, हाथ में चोट लगी है।
  • अगर किसी व्यक्ति को हाई बीपी या दस्त की समस्या हो रही है तो वह वीरभद्रासन को ना करें। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति को गर्दन की समस्या है या कंधों की समस्याएं तो वे भी इस आसन को ना करें।
  • वीरभद्रासन को वह व्यक्ति ना करें, जिन्हें जिसके कंधे में या गर्दन में किसी प्रकार की चोट लगी है। अगर किसी व्यक्ति के रीढ़ की हड्डी में दिक्कत है तो वे भी इस आसन को करने से बचें। 
  • कभी भी असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें। कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें। 
  • अगर किसी भी समय आपको किसी भी किस्म की असुविधा या दर्द महसूस होता है तो खुद पर जरा भी दबाव न डालें। धीरे-धीरे आसन का अभ्यास बंद कर दें और आराम करें। 
  • यदि आपको संतुलन बनाना मुश्किल लगता है, तो दीवार के सामने इस मुद्रा का अभ्यास शुरू करें। यह आपको तब तक कुछ स्थिरता देने में मदद करेगा जब तक आप इसे बिना सहायता के करने में सक्षम नहीं हो जाते।
  • अगर आप पहली बार ये आसन कर रहे हैं तो किसी योग्य योग गुरु की देखरेख में इस आसन का अभ्यास करें।

टिप्स (Tips)

  • योग करने से पहले वार्मअप कर लें।
  • वीरभद्रासन-2 करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
  • खाना खाने के तुरंत बाद योग न करें।
  • कमर व गर्दन को सीधा रखें कोई भी क्रिया बलपूर्वक न करें।
  • जो महिलाएं गर्भवती हैं या मासिक धर्म से गुजर रही हैं उन्हें इस आसन से बचना चाहिए।

इस ब्लॉग की जानकारी ज्ञान के उद्देश्य से है और इसमें कोई चिकित्सकीय सिफारिश शामिल नहीं है। सलाह का पालन करने से पहले एक प्रमाणित चिकित्सक से परामर्श करें।

पढ़ने के लिए धन्यवाद! 

                                                                                                                      रीना जैन

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