Vitamin D Deficiency: विटामिन डी क्यों जरूरी है?

विटामिन D (Vitamin D) हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है। इसका सबसे बड़ा स्त्रोत सूरज की रोशनी है। यही कारण है कि विटामिन डी को सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है। अगर शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती है तो शरीर को कई बीमारियां घेर सकती हैं।

The Pandemic of Vitamin D Deficiency: How to Make Sure You're Getting  Enough - Inova Newsroom

विटामिन D हमारे शरीर में कैल्शियम को एब्जॉर्ब करने में मदद करता है। विटामिन डी की मदद से कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में मदद मिलती है जो हड्डियों की मजबूती के लिए अत्यावश्यक होता है। इसके अभाव में हड्डी कमजोर होती हैं व टूट भी सकती हैं। हमारी हड्डियों, मांसपेशियों और नसों को स्वास्थ्य रखने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है।बच्चों में होने वाले हड्डियों के इस रोग को रीकेट्स और व्यस्कों में ओस्टोमैलेशिया (osteomalacia) कहा जाता है।

विटामिन डी के प्रकार (Types of vitamin D) 

विटामिन डी दो प्रकार के होते हैं-

पहला विटामिन डी2 (एग्रो कैल्सी फेरल)-विटामिन डी2 मनुष्य के शरीर में उत्पादन नहीं होता है, इसे पौधों से प्राप्त किया जाता है। पौधे विटामिन डी2 का उत्पादन सूरज की पराबैंगनी किरणों की उपस्थिति में करते हैं।

दूसरा विटामिन डी3 (कॉलेकैल्सिफेरॉल)-मनुष्य के शरीर में  विटामिन डी3 का उत्पादन होता है। इस विटामिन का निर्माण मनुष्य द्वारा सूरज की किरणों से प्रतिक्रिया होने पर होता है। विटामिन डी3 को खानपान की चीजों से प्राप्त किया जा सकता है।कुछ animal sources द्वारा भी ये प्राप्त किया जा सकता है।

विटामिन डी की कमी के कारण (Due to Vitamin D Deficiency)

अगर आपके मन में भी यह प्रश्न उठता है कि आखिर क्यों कम होता है शरीर में विटामिन-डी का लेवल तो हम नीचे आपको इसके कुछ मुख्य कारणों के बारे में बता रहे हैं:-

  • अधिकतर समय तक कमरे में रहना
  • धुप में नहीं निकलना
  • प्रदूषित वातावरण में रहना
  • ज्यादा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना,
  • डेयरी उत्पाद जैसे कि दूध, दही और मक्खन का सेवन कम करना या नहीं करना 
  • फास्ट फूड्स और कोल्ड ड्रिंक्स का अधिक सेवन करना
  • मोटापा भी विटामिन डी की कमी का कारण हो सकता है। 
  • शाकाहारी लोगों में विटामिन डी की कमी का खतरा अधिक होता है
  • किडनी विटामिन डी को उसके एक्टिव फॉर्म में कन्वर्ट नहीं कर पाती है तो भी VITAMIN D की कमी हो सकती है। 
  • गहरी रंगत की त्वचा होना

विटामिन डी की कमी से होने वाली समस्याएँ

(Vitamin D Deficiency Problems)

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हालांकि हमारा शरीर विटामिन डी का उत्पादन कर सकता है, इसके बावजूद भी किन्ही कारणों से शरीर में इसकी कमी हो सकती है। विटामिन डी इस कमी के कारण शरीर में कई तरह की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। क्या हैं वे समस्याएँ जानिए-

  • थकान और सुस्त महसूस करना
  • अधिक पसीना आता है
  • हड्डियों और पीठ में दर्द होना
  • डिप्रेशन
  • ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप)
  • बच्चों में रिकेट्स रोग का होना
  • जोड़ों और हड्डियों में दर्द होना
  • बाल झड़ना
  • कोई घाव जल्दी से न भर पाना
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
  • चेहरे और हाथों में झुर्रियां पड़ने लग जाती हैं।
  • पाचन संबंधी परेशानियां भी होने लगती हैं।
  • मसूड़ों संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।

विटामिन डी के स्रोत (शाकाहारी) (Sources of Vitamin D (Vegetarian)

धूप में बैठना (Sunbathe)

धूप यानी सूरज की रौशनी विटामिन डी का सबसे अच्छा और प्राकृतिक स्रोत है। आप धूप से अपने शरीर में विटामिन डी की कमी को पूरा कर सकते हैं। धूप से विटामिन डी पाने के लिए आप रोजाना सुबह कुछ समय तक धूप में बैठ सकते हैं।लेकिन दोपहर की धूप नहीं, सुबह की धूप फायदेमंद होती है। इससे चर्म रोग होने का खतरा भी कम हो जाता है।सिर्फ आधे से 1 घंटे की धूप आपको दिन भर का पर्याप्त विटामिन डी दे सकती है।

डेयरी प्रोडक्ट्स (Dairy Products)

 डेयरी प्रोडक्ट्स से विटामिन डी की कमी पूरी होती है। इसके लिए दूध, गाय का दूध, पनीर, दही, मक्खन, छाछ आदि का सेवन करें।शाकाहारी लोग गाय के दूध का सेवन कर इसकी कमी को पूरा कर सकते हैं।गाय के दूध में कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक भी मौजूद होता है।

मशरुम (Mushroom)

मशरुम कई रोगों से बचाने का काम करता है, मशरुम में पर्याप्त मात्रा डी होता है जो अलग-अलग किस्म के मशरुम में विटामिन डी की अलग-अलग मात्रा होती है. मशरुम में सबसे ज्यादा विटामिन डी पाया जाता है।मशरूम का पौधा स्टेरोल– एर्गोस्टेरॉल – प्रकाश के संपर्क में आने पर विटामिन डी में परिवर्तित हो जाता है। सिर्फ एक कप मशरूम दिन का 35-40 % vitamin D कि कमी को पूरा करता है।

संतरा (Orange)

संतरे में विटामिन C के साथ ही विटामिन D भी पाया जाता है। संतरे का जूस पीने से शरीर को जिंक, आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस और अन्य विटामिन भी मिलते हैं।

सोया प्रोडक्ट्स (Soya Products)

विटामिन D की कमी को दूर करने के लिए सोया प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।सोया प्रोडक्ट्स जैसे टोफू, सोया मिल्क, सोया योगर्ट विटामिन D की कमी को दूर करने में मदद करते हैं।

गाजर (Carrot)

विटामिन डी की कमी होने पर गाजर खाना भी फायदेमंद होता है। गाजर का जूस पी सकें तो और बेहतर होगा।

पालक (Spinach)

बहुत कम लोग जानते हैं कि यह विटामिन डी का एक अच्छा स्रोत है। एक कप पालक में लगभग40आईयू विटामिन डी होता है। इसके अलावा, यह आहार फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। इसमें जिंक, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, प्रोटीन, फास्फोरस, वगैरह जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व काफी होते हैं।

मकई (Corn)

मकई को दुनिया के सबसे अच्छे स्नैक्स और भोजन के रूप में भी जाना जाता है। पोषण संबंधी तथ्य में इसका उच्च स्थान है। इसमें न केवल विटामिन डी बल्कि विटामिन ए, विटामिन बी (कॉम्प्लेक्स), विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन के भी शामिल है। इसमें सभी आवश्यक खनिज (सूक्ष्म और मैक्रो) हैं।

अनाज एवं दलिया (Cereals and Oatmeal)

जो लोग शाकाहारी होते हैं उनके लिए अनाज विटामिन डी युक्त आहार हैं।  बाजार में उपलब्ध जैसे गेहूं, मक्का, बाजरा और दलिया विटामिन डी वाले अच्छे पदार्थ हैं।रोजाना एक कप अनाज, दलिया एवं ओट्स के सेवन से दिन की जरूरत का 30% विटामिन डी प्राप्त होता है।

कितना करें विटामिन डी का सेवन (How Much Vitamin D to Consume)

विटामिन डी की ज़रूरत सभी को होती है, लेकिन हर किसी की जरूरत अलग-अलग होती है। हर व्यक्ति को उसकी सेहत और उम्र के अनुसार इसका सेवन करना चाहिए। जैसे जन्म से लेकर छह महीने के शिशु को 400 IU के करीब इसे लेना चाहिए। 1 से 13 की उम्र हो तो 600 IU लेना चाहिए, 14 से 18 600 IU पुरुष के लिए अच्छा है। 14 से 18 साल की महिला को 600 IU लेना चाहिए और इसके बाद जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, इतना ही IU लेना चाहिए। भारत में 70 से 90 प्रतिशत लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी है। 

विटामिन डी के फायदे(Benefits of Vitamin D)

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  • विटामिन डी हमारे शरीर में सीरम, कैल्शियम और फास्फोरस की सही मात्रा को बनाए रखने में मदद करता है। यह हमारे शरीर में संक्रमण की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • विटामिन डी हमारे शरीर के लिए योद्धा है, यह हमें बाकी की बीमारियों को होने से बचाता है। यह शरीर की इम्युनिटी को भी बढ़ाता है।
  • विटामिन डी मांसपेशियों और नसों के लिए बहुत ही आवश्यक है। यह नर्वस सिस्टम और नसों को सही करता है। दिमाग अच्छी तरह से संचालन करने में सहायक होता है विटामिन डी।
  • अगर सही समय पर सही मात्रा में विटामिन डी नहीं लिया जाए तो मांसपेशियों में ऐंठन होती है, हड्डियों में दर्द होने लगता है। इसकी कमी से शरीर में थकान अधिक महसूस होती है और कई बार बहुत अधिक पसीना आने लगता है।
  • बच्चों में विटामिन डी की कमी हो जाय तो उन्हें सांस लेने की दिक्कत होने लगती है और उनकी हड्डियां कमज़ोर हो सकती हैं।
  • इसके अलावा उन्हें बार-बार किसी न किसी तरह का संक्रमण होने लगता है।
  • विटामिन डी की कमी से बाल झड़ने लगते हैं, कलाई और एड़ियां फूलने लगती है , डायबिटीज जैसी बीमारी भी होती है। सोरायसिस, कब्ज और दस्त जैसी दिक्कते भी अधिक आती हैं।
  • विटामिन डी के सप्लीमेंट्स से ब्लड शुगर और ग्लूकोज कंट्रोल होता है, साथ ही डायबिटीज की परेशानी से छुटकारा मिलता है।
  • विटामिन डी सही मात्रा में शरीर में हो तो डिप्रेशन दूर करने में मदद करता है।
  • यह शरीर में प्रोटीन की मात्रा को नियमित करता है।

विटामिन डी के नुकसान (Disadvantages of Vitamin D)

कई लोग विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स का सहारा लेते हैं।कुछ लोग ऐसा डॉक्टरी सलाह पर करते हैं तो वहीं कुछ लोग बिना किसी सलाह के ही सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देते हैं। जरूरत से ज्यादा कोई भी चीज़ शरीर के लिए नुकसानदायक होती है। विटामिन डी सप्लीमेंट्स के साथ भी कुछ ऐसा ही है। अगर शरीर में सप्लीमेंट्स के जरिये ज्यादा मात्रा में विटामिन डी पहुंचता है तो यह शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।

Signs of Vitamin D Overdose What Happens When You Eat Too Much Vitamin D?
  • विटामिन डी की खुराक शरीर में ज़्यादा हो जाय, तो इससे शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे भूख लगनी बंद हो जाती है।
  • विटामिन डी का अधिक सेवन करने से बार-बार पेशाब लगने की समस्या होती है।
  • बच्चों में अगर विटामिन डी अधिक हो जाए तो उनमें चिड़चिड़ापन, चलने में परेशानी और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
  • अधिक मात्रा में विटामिन डी का सेवन हड्डियों को कमजोर बनाता है। हाई ब्लड प्रेशर का कारण भी कई बार परेशानी का सबब बनता है।
  • विटामिन डी का ज़्यादा सेवन करने से कब्ज़, दस्त और सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
  • महिलाओं में इसकी अधिकता से इनफर्टिलिटी की समस्या, पीरियड्स का अनियमित होना और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी की संभावना हो सकती है।
  • इसलिए विटामिन डी सप्‍लीमेंट लेने से पहले अपने चिकित्सक से बात जरूर करें ।

नोट- विटामिन डी की कमी के लक्षण महसूस होने पर शरीर में विटामिन डी की मात्रा का टेस्ट करायें। अगर विटामिन डी लेवल 20 एनएमएम (nanograms/milliliter) से कम है तो डॉक्टर के परामर्श से विटामिन डी युक्त आहार और सप्लीमेंट्स लेना शुरु कर दें ताकि जल्द से जल्द शरीर के लिए आवश्यक विटामिन डी की पूर्ति करके राहत पायी जा सके।

पढ़ने के लिए धन्यवाद! 

                                                                                                                                                                              रीना जैन


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