Purity of Mithai

Check The Purity Of Your Diwali Mithaais: कैसे करें असली और नकली मिठाई की पहचान?

त्योहारों का सीजन शुरू होते ही मिठाइयों में मिलावट का खेल भी शुरू हो जाता है। त्योहारों में जैसे ही दूध से बनी चीजों की मांग बढ़ती है, ऐसे में कुछ मिलावटखोर, मिलावटी दूध, पनीर और मावा बेचते हैं। इसमें आर्टिफिशियल चीजें (चॉक, यूरिया, साबुन और व्हाइटनर) मिलाई जाती हैं। ये चीजें सेहत को कई तरीके से नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसके अलावा, मिठाई के ऊपर एल्युमिनियम की पतली लेयर लगाई जाती है, जिससे कई तरह के कैंसर (ब्रेन, माउथ, प्रोस्टेट), श्वास संबंधी बीमारियों और किडनी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार, मिलावटी मिठाई में अनसैचुरेटेड फैट, स्टार्च और कुछ खतरनाक चीजें मिलाई जाती हैं, जिससे शरीर का कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है। मिलावटी मिठाई से दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा भी रहता है। त्योहार अब बेहद करीब है ऐसे में जरूरी है आप असली और नकली की पहचान कर के ही मिठाई खरीदें। इसके प्रति सतर्कता बेहद जरूरी है। तो आइए जानें कैसे मिठाइयों की शुद्धता को परखा जाए ताकि आपके स्वास्थ्य से कोई खिलवाड़ न हो।

मिठाई असली है या नकली कैसे पहचानें (Identify whether sweets are Real or Fake)

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आमतौर पर मिलावटी मिठाइयां दिखने में तो वैसी ही होती है, लेकिन ये सेहत के लिए खतरनाक होती है। जानकारी के अभाव में हमें यह पता भी नहीं चलता कि कौनसी मिठाई असली है और कौनसी मिठाई नकली।

  • मिठाई को हाथ में लेने से अगर उसका रंग हाथ पर लग रहा है तो मिठाई में मिलावट की गई है ।
  • असली घी से बने मिठाई गर्म होने के बाद रंग नहीं बदलते हैं। नकली घी से तैयारी मिठाई को जब आप गर्म करेंगे तो उसमें से बदबू आएगी और गहरे भूरे रंग की हो जाएगी। 
  • नकली रंगों से तैयार मिठाई पानी में डालने पर रंग छोड़ने लगती है जबकि असली रंग जैसे केसर और हल्दी के प्रयोग से नेचुरल कलर्स से बनी मिठाइयां घंटों तक पानी में रखने के बाद भी रंग नहीं छोड़ता है। इसकी खुशबू भी बेहतरीन होती है।
  • कोई भी मिठाई लेते समय उसे सूंघे।कई बार लोग बासी और बदबूदार मिठाई पैक करके बेच देते हैं। बासी मिठाई की महक ही उसकी पहचान होती है। उसे महक कर देखें अगर वह तीखी गंध या हल्की खट्टास लिए हो तो उसे न लें। ये पुरानी हो सकती है।
  • गर्म पानी में आयोडीन मिला कर थोड़ी सी मिठाई डालें। अगर वो पानी में घुल जाती है तो समझ जाइये मिठाई नकली है। 
  • मिठाई या मावे पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड यानी नमक के तेज़ाब की पांच-छह बूंदें डालें। अगर इसमें मिलावट होगी, तो मिठाई या मावे का रंग लाल या हल्का गुलाबी हो जाएगा। 

मावा असली है या नकली, ऐसे करें पहचान (Identify whether Mawa is Real or Fake) 

बहुत से लोग घरों में मिठाई बनाते हैं लेकिन मावा बाजार से ही खरीदकर लाते हैं।ऐसे में यह कैसे पता लगाएं कि बाजार से जो मावा वह खरीद रहे हैं वह शुद्ध है या मिलावटी। त्यौहारों पर सबसे अधिक बिक्री मावे में होती है, तो सबसे अधिक मिलावट भी इसी में होता है।इसलिए मावे की पहचान जरूरी है।

  • असली मावे को खाने पर कच्चे दूध जैसा स्वाद आएगा, जबकि नकली मावा चखने पर स्वाद में कसैला होता है।
  • मावा खरीदने से पहले थोड़ा खाकर जरूर देखें। अगर असली होगा तो मुंह में चिपकेगा नहीं। वहीं अगर मावा नकली होगा तो वह मुंह में चिपकेगा।
  • मावे में थोड़ी शक्कर डालकर गर्म करें, अगर ये पानी छोड़ने लगे तो यह नकली खोया है। बता दें कि असली खोया पानी में जल्दी ही घुल जाता है, जबकि नकली खोया पानी में नहीं घुलता।
  • 2 ग्राम मावा का 5 एमएल गरम पानी में घोल लें और ठंडा होने दें। ठंडा होने के बाद इसमें टिंचर आयोडीन डालें।खोया नकली होगा तो इसका रंग नीला हो जाएगा।
  • असली मावा चिपचिपा नहीं होता बल्कि नकली मावा चिपचिपा होता है।
  • मावे को उंगलियों पर मसल कर भी देख सकते हैं अगर वह दानेदार है, तो यह मिलावटी मावा हो सकता है।
  • गरम पानी में हल्का सा नमक मिलाएं और खोए को खरीदने से पहले खोए के टुकड़े को इसमें डुबो दें। यदि मावा आयोडीन के संपर्क में आते ही ब्लू रंग का हो जाता है, तो मावे में स्टार्च की मात्रा मौजूद है। इसे बिल्कुल भी न खरीदें।

छेना असली है या नकली, ऐसे करें पहचान (Identify whether Chhena is Real or Fake) 

छेना की मिठाइयों में अक्सर स्टार्च की मिलावट  हो सकती है। इसके अलावा मैश किए हुए आलू  की भी इसमें मिलावट हो सकती है। साथ ही कई बार इसमें घी और  सल्फ्यूरिक एसिड की भी मिलावट हो सकती है।

  • 2-3 मिलीलीटर छेना को 5 मिलीलीटर पानी में उबालें।ठंडा करें और टिंचर आयोडीन की 2-3 बूंदें डालें। अगर इसका रंग नीला पड़ जाए तो, समझ जाएं कि इसमें स्टार्च की मिलावट की गई है। 
  • कभी भी चमकदार छेना की मिठाई न खरीदें। क्योंकि इसमें सल्फ्यूरिक एसिड का प्रयोग  हो सकता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।
  • रसगुल्ला जब नकली होता है तो ये ज्यादा स्पंजी नहीं होगा और चीनी की मिठास ज्यादा महसूस होगी। जबकि असली वाले को आप पूरा निचोड़कर (Squeezing) सिर्फ बिना चाशनी वाला रसगुल्ला खा सकते हैं। 

असली और नकली वर्क की पहचान (Identification of real or fake Varq)

वैज्ञानिक दृष्टि में चाँदी में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो मिठाई को लंबे समय तक ख़राब होने से बचाते हैं। इसके इसी गुण के वजह से इसे लगाने का चलन शुरू हुआ। आज के समय में यह सजावट के लिए भी इस्तेमाल होने लगा है।आजकल बाजार में चांदी के असली वर्क की जगह एल्युमिनियम के वर्क का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है।इसके सेवन से पेट संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। इतना ही नहीं बल्कि नकली वर्क दिमाग पर भी असर डालता है।

  • जब भी आप मिठाई खाएं तो ऊपर लगे चांदी के वर्क को पोंछने की कोशिश करें।अगर यह उंगलियों पर चिपक जाए तो समझें कि इसमें एल्यूमीनियम की मिलावट है, क्योंकि चांदी का असली वर्क कभी नहीं चिपकेगा।
  • चांदी का वर्क हाथ पर लेकर मसलें अगर वो वहां गायब हो जाता है तो समझिए वो चांदी का वर्क है, जबकि एलुमिनियम का वर्क मसलने के बाद उसकी गोली के रूप में तब्दील हो जाता है। 
  • चांदी के वर्क का पता लगाने के लिए वर्क को थोड़ा सा खुरचकर एक स्पून पर ले लें। इसके बाद उसे जलाकर देखें। चांदी का वर्क जलकर एक ग्लिटरी सबस्टेंस छोड़ेगा और एल्यूमीनियम फॉइल जलकर राख हो जाएगा।

असली और नकली केसर की पहचान (Identification of real or fake Saffron)

केसर अक्सर मिठाइयों में रंग, खुशबू और फ्लेवर के लिए इस्तेमाल होती है। ये काफी महंगी आती है इसीलिए इसे चैक करना जरुरी है।

  • एक कांच के बर्तन में गर्म पानी लें और उसमें केसर डाल दें। अगर केसर का रंग धीरे धीरे छूटे तो वो असली है, लेकिन नकली केसर तुरंत रंग छोड़ देगी।
  • असली केसर पानी में कभी नहीं घुलती है, सिर्फ उसका रंग घुलता हैं लेकिन पत्तियां नहीं।
  • आप इसे चखकर भी पहचान सकते हैं। थोड़ी केसर जीभ पर रखिए, अगर आपको हल्की कड़वाहट महसूस होत है तो ये असली केसर है। असली केसर की खुशबू मीठी लेकिन स्वाद हल्का कड़वा होता है। नकली केसर आपको खाने में मीठी लगेगी।

नोट: कई बार मिठाई में फॉर्मलीन का भी प्रयोग होता है। फॉर्मलीन जो आमतौर पर लाशों को लंबे समय तक प्रिजर्व रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में मिठाइयों में इस तरीके का केमिकल का प्रयोग करना बहुत ज्यादा हानिकारक है और यह जानलेवा है।     

पढ़ने के लिए धन्यवाद! 

                                                                                                                                                                              रीना जैन

                                                                                                                 

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